राहुल गाँधी जी आपमें और हममे फर्क क्या है ?
राहुल गाँधी कहते है की, 'पढ़े लिखे लोगो ने राजनीती में आना चाहिए ! पढ़े लिखे लोग जबतक राजनीती में नहीं आयेंगे तबतक देश का विकास नहीं हो सकता ! इतनाही नहीं तो पढ़े लिखे होने के साथ साथ वो युवा भी हो ताकि अपनी पूरी शक्ति वो देश के विकास के लिए लगा सकते है !' राहुल गाँधी जी आपका धन्यवाद् ! आखिर आपकी सोच हमारी सोच से मेल खा रही है ! यही बात पिछले ५ सालोंसे मै युवाओंसे कह रहा हु ! बार बार इस विषय पर लिख रहा हु ! इतनाही नहीं तो बेरोजगार युवाओंको रोजगार के रूप में राजनीती के तरफ देखना चाहिए ऐसा सिद्धांत भी रख रहा हु ! पढ़े लिखे और युवा जबतक इस भारत की राजनीती ने नहीं आते तबतक राजनीती को बेरोजगारी कम करने का और रोजगार मिलाने का जरिया नहीं बनाते तबतक इस देश की गन्दी राजनीती, धर्म की राजनीती, अनैतिकता की राजनीती, जाती की राजनीती, गुंडागर्दी की राजनीती, गेंदे की चमड़ी पहने राजनेता नहीं बदलेंगे ! हर युवाओंसे जो पढ़े लिखे है, जो उच्चशिक्षित है उन्होंने करियर के रूप में राजनीती के तरफ देखना चाहिए ! तभी इस देश में नैतिकता की राजनीती, कल्याणकारी राजनीती, न्याय की व्यवस्था, समानता और बंधुता की व्यवस्था नहीं आ सकती ! इसलिए आओ चले युवा राजनीती के तरफ अपने कदम बढ़ाये !
राहुल गाँधी यह बात आज कह रहे है ! मै कई सालोंसे यह बात कह रहा हु ! इस विषय पर लिखे हुए आर्टिकल भी ५ साल पहले विभिन्न वर्तमान पत्रोमे प्रकाशित हुए है ! फिर बताओ आगे कौन राहुल गाँधी या मै ! किसने पहले कहा मैंने या राहुल गाँधी जी ने ! राहुल गाँधी जी क्या आपकी जगह अब मुझे मिलेगी क्या ? आप ने कहा तो हर न्यूज च्यानल पर छा गए और वही बात आपके पहले हमने कही तब भी हमें कोई नहीं जानता और न ही कोई न्यूज च्यानल वाला मेरे पास आया ? क्या यह न्याय होगा राहुल जी ? जरा जवाब देने का कष्ट कीजिये ? तो बताइए आपसे ज्यादा क्वालिटी हममे होने के बावजूद, आपसे ज्यादा पढ़े लिखे होने के बावजूद आप संसद में और हम चौराहे पर क्यों ?
आप देश की सबसे बड़े राजनितिक पार्टी के महासचिव और हम बेरोजगार क्यों ? राहुल जी जरा एक मौका हमें भी देके देखिये ? देखो क्या कमल करते है हम ? आपसे कई गुना ज्यादा देश का विकास कैसे करते है हम ये भी देखिये ? मै आपको विश्वास दिलाता हु की इस देश की सूरत ५० साल में नहीं ५ साल में बदल सकते है हम ? मायावती जैसे संधि की राजनीती नहीं करेंगे ? डरो मत हम आपको साथ लेके ही राजनीती करेंगे पर जनता की भलाई की राजनीती करेंगे ? हम आपके जैसे गरीबोंके घर में जायेंगे नहीं गरीबोंको अपने महल में रहने बुलाएँगे ? जरा एक बार आजमाके देखिये !
राहुल गाँधी जी आप क्या और मै क्या आज इस बात को दोहरा रहे है ! मै आप को बताता हु डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर जी ने १९३६ में जब स्वतंत्र मजूर पक्ष की स्थापना की थी उसी समय उन्होंने अपने उम्मीदवार चुनने की लिए ३ कसोटिया लगाई थी !
१. मेरा उम्मीदवार पढ़ा लिखा होना चाहिए !
२. उम्र में २५ से ३५ साल के बिच का होना चाहिए ! याने युवा / तरुण होना चाहिए !
३. और उसे अंग्रेजी आनी चाहिए !
इन ३ कसोटियोंके कारण उनके साथ काम करने वाले काफी लोग जो उम्र में बढे थे और कार्यकर्ता थे उन्हें चुनाव की टिकट नहीं दिया ! वो नाराज हो गए थे ! फिर भी बाबासाहब ने युवा उम्मीदवारोंको टिकिट दी थी ! और उन्हें चुन के भी लाया था !
फिर राहुल गाँधी जी आप बाबासाहब का नाम क्यों नहीं लेते ! यह प्रेरणा तो आप ने बाबासाहब से ही ली है ! या फिर मेरे से ली होगी ! क्यों डरते हो हमारा नाम लेने से ? मेरा नहीं तो कम से कम बाबासाहब का नाम लो ! बताओ की यह प्रेरणा आपको बाबासाहब से मिली है ! मै यकीन दिलाता हु आप इससे भी ज्यादा बढे हीरो बन सकते हो ?
छोड़ो हमारी बात करो ? राहुल गाँधी जी क्या आप ऐसा कर सकते है ? क्या आप अपने कार्यकर्ताओंको छोड़ कर हमारे जैसे पढ़े लिखे लोगोंको टिकट देखर चुनकर ला सकते है ! बताओ राहुल गाँधी जी आपमें और हममे फर्क क्या है ?
---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर.
राहुल गाँधी कहते है की, 'पढ़े लिखे लोगो ने राजनीती में आना चाहिए ! पढ़े लिखे लोग जबतक राजनीती में नहीं आयेंगे तबतक देश का विकास नहीं हो सकता ! इतनाही नहीं तो पढ़े लिखे होने के साथ साथ वो युवा भी हो ताकि अपनी पूरी शक्ति वो देश के विकास के लिए लगा सकते है !' राहुल गाँधी जी आपका धन्यवाद् ! आखिर आपकी सोच हमारी सोच से मेल खा रही है ! यही बात पिछले ५ सालोंसे मै युवाओंसे कह रहा हु ! बार बार इस विषय पर लिख रहा हु ! इतनाही नहीं तो बेरोजगार युवाओंको रोजगार के रूप में राजनीती के तरफ देखना चाहिए ऐसा सिद्धांत भी रख रहा हु ! पढ़े लिखे और युवा जबतक इस भारत की राजनीती ने नहीं आते तबतक राजनीती को बेरोजगारी कम करने का और रोजगार मिलाने का जरिया नहीं बनाते तबतक इस देश की गन्दी राजनीती, धर्म की राजनीती, अनैतिकता की राजनीती, जाती की राजनीती, गुंडागर्दी की राजनीती, गेंदे की चमड़ी पहने राजनेता नहीं बदलेंगे ! हर युवाओंसे जो पढ़े लिखे है, जो उच्चशिक्षित है उन्होंने करियर के रूप में राजनीती के तरफ देखना चाहिए ! तभी इस देश में नैतिकता की राजनीती, कल्याणकारी राजनीती, न्याय की व्यवस्था, समानता और बंधुता की व्यवस्था नहीं आ सकती ! इसलिए आओ चले युवा राजनीती के तरफ अपने कदम बढ़ाये !
राहुल गाँधी यह बात आज कह रहे है ! मै कई सालोंसे यह बात कह रहा हु ! इस विषय पर लिखे हुए आर्टिकल भी ५ साल पहले विभिन्न वर्तमान पत्रोमे प्रकाशित हुए है ! फिर बताओ आगे कौन राहुल गाँधी या मै ! किसने पहले कहा मैंने या राहुल गाँधी जी ने ! राहुल गाँधी जी क्या आपकी जगह अब मुझे मिलेगी क्या ? आप ने कहा तो हर न्यूज च्यानल पर छा गए और वही बात आपके पहले हमने कही तब भी हमें कोई नहीं जानता और न ही कोई न्यूज च्यानल वाला मेरे पास आया ? क्या यह न्याय होगा राहुल जी ? जरा जवाब देने का कष्ट कीजिये ? तो बताइए आपसे ज्यादा क्वालिटी हममे होने के बावजूद, आपसे ज्यादा पढ़े लिखे होने के बावजूद आप संसद में और हम चौराहे पर क्यों ?
आप देश की सबसे बड़े राजनितिक पार्टी के महासचिव और हम बेरोजगार क्यों ? राहुल जी जरा एक मौका हमें भी देके देखिये ? देखो क्या कमल करते है हम ? आपसे कई गुना ज्यादा देश का विकास कैसे करते है हम ये भी देखिये ? मै आपको विश्वास दिलाता हु की इस देश की सूरत ५० साल में नहीं ५ साल में बदल सकते है हम ? मायावती जैसे संधि की राजनीती नहीं करेंगे ? डरो मत हम आपको साथ लेके ही राजनीती करेंगे पर जनता की भलाई की राजनीती करेंगे ? हम आपके जैसे गरीबोंके घर में जायेंगे नहीं गरीबोंको अपने महल में रहने बुलाएँगे ? जरा एक बार आजमाके देखिये !
राहुल गाँधी जी आप क्या और मै क्या आज इस बात को दोहरा रहे है ! मै आप को बताता हु डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर जी ने १९३६ में जब स्वतंत्र मजूर पक्ष की स्थापना की थी उसी समय उन्होंने अपने उम्मीदवार चुनने की लिए ३ कसोटिया लगाई थी !
१. मेरा उम्मीदवार पढ़ा लिखा होना चाहिए !
२. उम्र में २५ से ३५ साल के बिच का होना चाहिए ! याने युवा / तरुण होना चाहिए !
३. और उसे अंग्रेजी आनी चाहिए !
इन ३ कसोटियोंके कारण उनके साथ काम करने वाले काफी लोग जो उम्र में बढे थे और कार्यकर्ता थे उन्हें चुनाव की टिकट नहीं दिया ! वो नाराज हो गए थे ! फिर भी बाबासाहब ने युवा उम्मीदवारोंको टिकिट दी थी ! और उन्हें चुन के भी लाया था !
फिर राहुल गाँधी जी आप बाबासाहब का नाम क्यों नहीं लेते ! यह प्रेरणा तो आप ने बाबासाहब से ही ली है ! या फिर मेरे से ली होगी ! क्यों डरते हो हमारा नाम लेने से ? मेरा नहीं तो कम से कम बाबासाहब का नाम लो ! बताओ की यह प्रेरणा आपको बाबासाहब से मिली है ! मै यकीन दिलाता हु आप इससे भी ज्यादा बढे हीरो बन सकते हो ?
छोड़ो हमारी बात करो ? राहुल गाँधी जी क्या आप ऐसा कर सकते है ? क्या आप अपने कार्यकर्ताओंको छोड़ कर हमारे जैसे पढ़े लिखे लोगोंको टिकट देखर चुनकर ला सकते है ! बताओ राहुल गाँधी जी आपमें और हममे फर्क क्या है ?
---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर.
rahul rajkumar hai! Sandeepji aap thahare kshudra. par farakh dekho aapke vichar sarvabhaumik hai aur rahul ke bachkane .Iska matlab ye hua aap kaha aur woh bhacha kaha.Congress to arya vansiy ghass hai,woh bhi ghar ki kheti to oose mahasachiv banaye ya sar pe bithaye,Ham to mulnivasi hai hame inse ladana hoga aur in congressi ghass aur iski anya jad bjp,rss,bd,shivsena,etc.ko jad se ukhadna hoga.
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