Saturday 30 July 2011

बीएसपी और आरएसएस एक ही सिक्के के दो पैलू !

 
बीएसपी और आरएसएस एक ही सिक्के के दो पैलू !

काफी दिनों से मै आप लोगो से एक सच्चाई बाटना चाहता था ! आज वो सच्चाई आप से मै बाँट रहा हु ! मौका भी है और जरुरत भी ! जाती की जंग छिड़ चुकी है ! कोई जाती तोड़ना चाहता है ! तो कोई अपने राजनितिक वजुत के लिए जाती बनाना और बनाये रखना चाहता था ! और आज भी चाहते है ! आप सभी को यह मालूम है की जाती और जातिव्यवस्था इस देश के लिए कलंक है ! यहाँ के करोडो पीड़ित-शोषित-मागास लोगो के लिए भी वो अभिशाप ही रहा है ! बाबासाहब ने भी अपनी लढाई इसी लिए लढी थी ! यहाँ के जातिवाद की जड़े उन्होंने जड़ से खोकली कर दी थी ! उन्होंने बुद्ध धम्म का स्वीकार कर दुनिया की सबसे बढ़ी क्रांति पीड़ित-शोषित-मागास लोगो के लिए की थी ! अगर इसे रोका नहीं जाता तो आज भारत बड़ी तेजी से बुद्धमय हुआ रहता ! इसलिए यहाँ की जातिवादी ताकतोंके माध्यम से जो कदम उठाने चाहिए थे ! वो कदम उठाये गए ! पर निशाना तो सही था पर मोहरा कोई अलग बनाया गया ! इन जातिवादी ताकतोंने खुद यह करते हुए किसी और के खदे का सहारा लिया गया ! और वो खंदा बना राजनीती में भोले भाले लोगो को लुटाने वाला और महापुरुष बनाने की चाह रखने वाला पंजाब-दा-पुतर रामदौसिया याने कांशीराम !

देखो मै जो सच्चाई आपके सामने रखने जा रहा हु वो जरा गौर से सोचना ! वो सच्चाई यह है की, १९७० के दशक तक भारत में बुद्धिस्ट लोगो की संख्या काफी तेजी से बढती जा रही थी ! लोगो में बाबासाहब के विचार तेजी से फ़ैल रहे थे ! लोग बाबासाहब के तरफ खींचे चले रहे थे ! (आंबेडकरी विचारोंके तरफ) इसका मतलब बाबासाहब को अपनाना याने बुद्धिसम को बढ़ाना ! और ये बड़ा खतरा था यहाँ की वर्णवादी और जातिवादी ताकतोंके लिए ! इसलिए आर एस एस के गोलवलकर गुरूजी ने बाबासाहब और बुद्ध के तरफ खींचे चली रही आंधी को रकने के लिए अपने आर एस एस के शिष्यों को एक प्लान दिया था ! यह प्लान सिर्फ उनके शिष्यों तक ही मालूम था ! पर एक दिन आर एस एस का सदस्य मेरे से बात करते हुए आर एस एस को धर्मनिरपेक्ष साबित करने के चक्कर में यह बड़ी अनमोल बात मुझे बता दी ! जो आज मै आपको बताने वाला हु !

उस सदस्य ने कहा की, "आर एस एस इस देश में धर्मनिरपेक्ष तत्व को लाना चाहता है ! इसलिए गोलवलकर गुरूजी हमारे आर एस एस और विवेकानंद आश्रम के सदस्यों को हमेशा एक हिदायत देते थे ! वो कहते थे की, यहाँ हिन्दू धर्म को अगर बनाये रखना है तो पहले हमें यहाँ की जातिवाद की जड़े मजबूत करनी होगी ! उसके लिए हमें भारत की हर जाती के संस्कृति का सन्मान करना होगा ! हर जाती के महापुरुशोंको मानना होगा ! उन्हें सन्मान देना होगा ! हर जाती में उनके महापुरुष को पैदा करना होगा ! तभी हम इस देश में हिन्दू धर्म और संस्कृति को बचा सकते है !"

अब देखो यह सच्चाई की आर एस एस क्या करना चाहता था ! गोलवलकर गुरूजी क्या करना चाहते थे ! और किया किसने ? आज देखो की हर जाती के महापुरुशोंकी एक लम्बी कतार लगी हुई है ! इस क़तर में बाबासाहब कहा है यह ढूंडना पड़ता हैयहाँ मै किसी भी महापुरुष की अवहेलना नहीं करना चाहता ! सिर्फ आप लोगो को एक सच्चाई के तरफ खींचना चाहता हु ! माना की इन सभी महापुरुशोने छोटी बड़ी क्रांतिया की है ! वो सभी क्रांतिया जाती तक सिमित थी ! पर क्या वो क्रांतिया बाबासाहब के क्रांति से मेल खाती है ! हम बाबासाहब की क्रांति को ही विश्व की बड़ी क्रांति क्यू कहते है ? बाकि लोगो ने की हुई क्रांति का अंतिम चरण बाबासाहब ने की बुद्ध क्रांति थी ! धम्मचक्र परिवर्तन क्रांति थी ! जो यहाँ के सभी पीड़ित-शोषित-मागास लोगो को न्याय दिलाने की क्रांति थी ! इसलिए हर कोई बाबासाहब और बुद्ध को ही मुक्ति दाता कहता था ! लेकिन फिर एक बार गड़े मुर्दे उखाड़कर जाती के महापुरुशोंको बाबासाहब की कतार में बिठाया गया ! जो आर एस एस करना चाहती थी ! वो काम बामसेफ और बीएसपी ने किया

इसके कारण यह हुआ की हर जाती का इन्सान अपने जाती में ही सिमट गया ! अपने जाती के महापुरुष को दिलो दिमाग में रखने लगा ! इस पुरे प्रक्रिया में बाबासाहब धीरे धीरे कम होते गए ! इसलिए लोगो के दिल से बुद्ध बनने की चाह भी कम होती गईऔर बुद्धमय भारत का सपना यही से टूटने लगा ! राजनीती के लिए जाती का सर्वे किया गया और ६६०० जाती में से ६०० जाती भी इकट्ठा आयी तो सत्ता हम हासिल कर सकते है ! ऐसा झांसा देकर कांशीराम और उनके चिल्लू पिल्लूओने जातिया मजबूत करने का काम किया ! इन सब में बुद्ध धम्म इनके दिलो दिमाग में कही भी नहीं था ! बाबासाहब की जनता को बेवकूफ बनाकर साईकिल की औकात बढाकर प्लेन में घुमना था ! वो भी इन्ही बेचारे लोगो के पैसे से ! इन लोगो का कोई उद्धार तो नहीं हुआ ! लेकिन इन लोगो ने जिनको पैसा दिया उनका उद्धार जरुर हुआआज तो ऐसी हालत है की "जय भीम" हम जीतनी ताकत से बोलते थे उतनी ताकत से क्या क्या "जय" बोला जा रहा है ! देखो ! ध्यान से पढो ! समझो ! किसका काम किसने किया ! क्या अब भी आप बीएसपी और बामसेफ को आंबेडकरी चालवल के रूप में देखते है ! ये तो एक ही सिक्के के दो पहलू है ! जो आर एस एस के साथ जुड़े हुए है !----प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर.

4 comments:

  1. Aap ki photo dekh kar lagat hai ki aap bade likhe lagate hai , lekin aap ke soch dekh kar lagata hai ki aap ki sahi galat ne fark nahi janate ya aap ka koyi vishesh makasad hai jisa ko pura karane ke liye aap aur vo makasad itana mahtvapurn hai aap ke liye ki aap jhut bol sakate hai aur siddhanto ki bali chada sakate hai. sach kya hai ye aap se behatar koyi nahi janata.

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  2. bhai vijay gtm jo koi bhi ho aap kabhi wakt mile to jarur milane aana...vistar se charcha karenge..jai bhim

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  3. lo sirji sacchhai batai tab bhi ye log bhokenge. sandip sirji aapko lagta hai ye log suddharenge

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  4. Bahut hi behuda post hai sir. Apana intellectual level badaiye.

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