Tuesday 12 July 2011

मंदिरों के माध्यम से हुई बौद्धों पर प्रतिक्रांति

मंदिरों के माध्यम से हुई बौद्धों पर प्रतिक्रांति
 
        मंदिर, मस्जित, गुरूद्वारे यह आधुनिक काल में विकसित हुए है ! वैदिक काल में कोई मंदिर अस्तित्व में नहीं था ! वैदिक धर्म का काम मठोंसे चलता था ! मस्जित और गुरूद्वारे भी बाद में आये ! इन सबसे पहले बौद्ध भिख्खुओंने लेणी एवं स्तूप बनाये थे ! बौद्ध भिख्खू अपने धम्म का प्रचार और प्रसार करते वक्त जहा जहा गए है ! वहा वहा उन्होंने लेणीया विकसित की ! जो बाद में सम्राट अशोका के बाद विहारोंमे विकसित हुए ! विहार से जिस तरह धम्म प्रचार और प्रसार किया जाता था ! धम्म के प्रति लोगो की आस्था बढाती जा रही थी ! लोग बौद्ध धम्म के तरफ आकर्षित हो रहे थे ! यह देख कर बाकि धर्मियोंने अपने अपने धर्म के प्रचार के लिए अपने अपने देवालय स्थापित किये है ! देवालय, मंदिर, मस्जित ज्यादातर वही बनाये गए है जहा पर पहले बौद्ध विहार या स्तूप हुवा करते थे ! इसलिए यह बुद्ध धम्म पर की गई प्रतिक्रांति है ! इसी रूप में इसे पहचाना जाना चाहिए !
 
                       मंदिरों के माध्यम से  हुई  बौद्धों  पर  प्रतिक्रांति यह हमें किसी भी हालत में नहीं भुलना चाहिए !
इसलिए अब एक नया आन्दोलन जिस जगह मंदिर है ! या तो गिरा दो या उसके निचे उत्खनन करो ! भारत का पूरा इतिहास बदल सकता है ! मै यकीं के साथ कहता हु की यहाँ जितने भी पुराने कहे जाने वाले मंदिर है याने १९ वी सदी के अंत तक जितने भी मंदिर मस्जित बनाये गए है ! वहा पर उत्खनन होना चाहिए ! भारत देश का इतिहास ही नहीं बल्कि एक भूचाल आ सकता है दुनिया के इतिहास में !

                 एक दूसरा इतिहास भी ऐसा है की, अगर यह सभी मंदिर गिरा के कुछ खोज की जाये तो हिन्दू धर्म ने की हुई हर झूटी बात सामने आएगी ! इतनाही नहीं बल्कि बहोत से मंदिर यह आधुनिक काल में बने है ! आधुनिक काल में बने याने ५०० साल पहले तक बने सभी मंदिर के निचे यहाँ के भुमिपुत्रोंकी संपत्ति छुपाई गई है ! राजा, महाराजा, जमिंदारोंने अपनी संपत्ति को आक्रमण और लुट से बचा ने के लिए मंदिर के निचे छुपाई हुई है ! बहोत सी संपत्ति आज भी मंदिरों के निचे है ! मंदिरोंके के निचे में अगर संशोधन किया जाये ! और सरकार इस विषय में राजी होती है ! और अगर वह काम आज हमने शुरू किया तो यह देश दुनिया की पूरी संपत्ति से भी ज्यादा सम्पत्तिवाला अमीर देश बन सकता है ! क्या आज हम ये कर सकते है ?

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