हिन्दुओ आप हर वक्त एक बखेड़ा खड़ा कर देते हो. बाबासाहब ने की हुई स्वतंत्र वसाहत की मांग उस वक्त की अपने लोगो को हक़ दिलाने की लढाई थी ! और यह मांग संविधान बनाने के पहले की गई थी ! संविधान बनाने के बाद इस पर बाबासाहब ने कभी भी दुबारा वक्तव्य नहीं किया ! और रही बात भाईचारे की तो भाईचारा बनाना जितना हम लोग चाहते है श्यायद ही उतना किसी और कौम के द्वारा सोचा जाता होंगा ! यहाँ प्रश्न यह है की बाबासाहब ने इस देश की अखंडता के लिए कभी भी इस समाज को बहार निकालने का प्रयास नहीं किया ! बल्कि बुद्ध के तत्वों से इस समाज को फिर एक बार अपने भूमि से जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित किया है ! संविधान में भाईचारा के अनेको प्रावधान है ! लेकिन यह सभी प्रावधान जातिवाद की भेद चढ़ गए है ! कितने बार हमने कलम १४ से १८ को लेकर बखेड़ा खड़ा किया है ! सर्वोच्च न्यायलय का अगर हम रिकॉर्ड देखे तो इस बात की पुष्टि होती है ! कहना सिर्फ इतना है की जबतक आपके मन पे पल रही कट्टर हिंदुत्व की भावना को आप उखड नहीं फेकते तबतक इस देश में भाईचारा नहीं बन सकता ! हिन्दू अगर कट्टर हिंदुत्व की बात करता है तो कोई फर्क नहीं ! लेकिन वही अगर किसी बौद्ध ने अपनी बात कही तो आप उन्हें यही लोग जातीयता और कट्टरता का लेबल चढ़कर अपनी विषैली मानसिकता उजागर करते हो ! बात सिर्फ इतनी ही नहीं ! जो लोग आज भाईचारा बनाओ ऐसे नारे लगा रहे है ! जो लोग मुस्लिम कौम को आतंकवादी घोषित कर रहे है ! क्या वो दूद के धुले है क्या ? मालेगांव, समरसता एक्सप्रेस, हैदराबाद जैसी घटनाये तो घर में बैठे दुश्मनों ने की है ! और वही लोग जब भाईचारा की बात करते है ! तो वो बात कुछ आपके मन में पनप रहे और एक जातिवाद का घिनौना खेल नजर आता है ! मै आप से एक अपील करना चाहता हु की, यहाँ की हिन्दू कौम ने अगर अपनी कट्टरता त्याग कर भाईचारा बनाने में और उसे खुद से शुरवात कर निभाने की कोशिश की तो यहाँ की मुस्लिम कौम भी आप के साथ होगी ! और यहाँ का बुद्धिस्ट या आंबेडकरी समूह सबसे पहले आप के साथ होगा ऐसा मै आप को यकीन दिलाता हु ! एक देशपांडे या एक कुलकर्णी ने हमारा साथ दिया इसका मतलब यहाँ की ब्राम्हण कौम भाईचारा बनाना चाहती है ऐसा नहीं होता ! पहले RSS और VHP में जो चल रहा है उसे सुधारिए ! देश के हालत खुद-ब-खुद सुधर जायेंगे ! बाबासाहब का सपना पूरा होगा ! हमें भारतीय होने का गौरव होगा ! और संविधान की धर्मनिरपेक्षता सफल होगी ! उस देश में फिर कभी रमाबाई नगर, या खैरलांजी नहीं होगी ! क्या आप सभी हिन्दू इसके लिए तैयार है ?
सामाजिक पुनर्निमाण के लिए आपका बताया पथ कारगर है. सभी को सोचना चाहिए और देश को एक समाज मान कर अपनी सोच को बेहतर बनाना चाहिए.
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