Saturday 30 July 2011

कांशीराम का पोस्टमार्टम :- पार्ट - १

कांशीराम का पोस्टमार्टम :- पार्ट - 

चलो आज आपको फिर एक सच्चाई से अवगत करता हु ! दलितों आधुनिक मसीहा कहे जाने वाले और खुद का अपने ही मुह से दलितों का मसीहा कहने वाला रामदौसिया (कांशीराम) इसके बारे में और एक सच्चाई आपके सामने रखने जा रहा हु ! "जय भीम" एक ललकार थी ! "जय भीम" एक क्रांति थी ! "जय भीम" एक लहर थी ! "जय भीम" उबलता हुआ खून था ! "जय भीम" इस अन्याय की व्यवस्था को तारतार करके चीरने वाली एक गूंज थी ! हर किसी के जबान में "जय भीम" का एक ही नारा गूंज ता था ! "जय भीम" सुनने वाला "जय भीम" कहने वाले से १० कदम दूर रहने की सोचता था ! इसलिए नहीं की उनके हाथ में तलवार थी या कोई शस्त्र ! इसलिए की उनके हाथ में और मुह में "जय भीम" के कलम की ताकत थी ! जिसे दुनिया में आज तक कोई हरा नहीं पाया था ! जिसे दुनिया का हर कोई विद्वान, हर कोई महापंडित अपना आदर्श मनाता था ! "जय भीम" के सामने नतमस्तक होता था ! वो "जय भीम" थे हमारे डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर उर्फ़ बाबासाहब आम्बेडकर !

पंजाब दा पुतर रामदौसिया (कांशीराम) ने अपने महाराष्ट्र के नौकरी के कार्यकाल में वो "जय भीम" की लहर देखी ! फिर उसे पता चला की ये "जय भीमडॉ. बाबासाहब आम्बेडकर का खून है ! इसमें इतनी ताकत है ! तब तक उसे कुछ भी पता नहीं थाडॉ. बाबासाहब आम्बेडकर का नाम तक नहीं जानने वाला यह बहुरुपिया महाराष्ट्र का "जय भीम" काफिला देख कर चौकन्ना रह गया ! मै यहाँ राजनीती की बात नहीं कर रहा हु ! यह कृपया ध्यान में रहे !

देखो कैसी विडंबना है ! १९५९ में पंजाब विश्वविद्यालय से मास्टर आफ सायंस करने वाला यह कांशीराम बहुरुपिया बाबासाहब को १९६९ तक नहीं जानता ! जब की जिस पंजाब में १९५७ के आम चुनाव में आर पी आय के विधायक पंजाब अस्सेम्ब्ली में चुन कर आये थे ! तो क्या कांशीराम उस वक्त बेवकूफ था ! ग्रज्युएट बच्चा उस वक्त अपने राज्य के बारे में कुछ नहीं जानता ! जबकि पंजाब में एक अच्छी खासी मोवेमेंट उस वक्त बाबासाहब की चल रही थी ! मास्टर आफ सायंस पंजाब से करने के बाद भी मैंने जो ऊपर पंजाब की परिस्थिति बताई वो होने के बावजूत इस बहरूपियो को महाराष्ट्र में आकर बाबासाहब का नाम सुना ऐसा कहता है ? क्या जूते खाने लायक इन्सान से ये कोई कम है ? उस दौर में तो बाबासाहब को सिर्फ पूरा भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्वा जानता था ! लेकिन लोगो को बेवकूफ कैसे बनाया जाये यह अच्छी तरह से कांशीराम जानता था ! इसलिए इस बहुरूपिये ने महाराष्ट्र के लोगो को बेवकूफ बनाना शुरू किया ! इसमें यहाँ के लोगो का और यहाँ के कुछ मोवेमेंट के शिलेदारो का भी थोडा बहुत हाथ रहा है ! इन्होने अगर इस बहुरूपिये को तुल नहीं दिया होता तो आज इसका अस्तित्वा नहीं होता !

फिर इस  बहुरूपिये को लगा की बाबासाहब के लोगो को सिर्फ "जय भीम" बोल कर भी अपने तरफ खिंचा जा सकता है ! इसलिए यह "जय भीम" लोगो में घुसपेठ करने लगा ! खुद को इसने बाबासाहब के मोवेमेंट का मसीहा कहना शुरू कर दिया ! और बार बार एक ही किताब का नाम लेकर लोगो को बेवकूफ बनता गया ! "Annihilation of Caste" यह एक ही किताब पढ़कर इस महाशय को पुरे बाबासाहब समझ गए ! जहा अनेक विद्वानों ने बाबासाहब के बारे में यह बताया है की, बाबासाहब को पुरे जीवन में भी अगर हम पढेंगे तो भी उनके सिद्धांतो को हम छु नहीं सकते ! और यह बेवकूफ जो मास्टर ऑफ़ सायंस होने के बाद भी बाबासाहब नहीं जानता था वो एक किताब पढ़कर बाबासाहब जन गया ! सोचो कितना बड़ा ढोंगी था यह रामदौसिया ?

फिर इसने मोवेमेंट के नाम पर लोगो को लुटना शुरू किया ! सबसे पहले इसका टार्गेट बना नौकर पेशा आदमी ! इसे मालूम था अगर इन लोगो को बेवकूफ बनाकर साथ लिया जाये तो यह खुद तो काम करेगा नहीं क्योंकि इसके पास नौकरी के अलावा वक्त नहीं होता ! पर यह बाबासाहब के नाम से मुझे पैसा दे सकते है ! हुआ वैसा ही इन लोगो ने इस रामदौसिया को पैसा देना शुरू किया ! और यह जाना भी नहीं की यह पैसा ये रामदौसिया कहा खर्चा कर रहा है ! १० साल तक महाराष्ट्र के नौकर पेशा लोगो को लुटाने के बाद पूरा पैसा लेकर यह रामदौसिया उत्तर प्रदेश भाग गयाऔर कारन बताया की महाराष्ट्र के लोग गद्दार है ! भागने का जरिया होना था ! इसलिए इसने यह कहना शुरू कर दिया ! और जिन लोगो ने इसे पैसा देकर साइकल से उठाकर प्लेन में बैठाया उन लोगो को ही इसने गालिया देना शुरू कर दिया ! जाती के नाम से गालिया मारने लगा ! कुछ लोग जो उसके साथ काम कर रहे थे उन्होंने उसे विरोध किया तो उन्ही लोगो को फिर इसने "भड़वा" और "दलाल" कहना शुरू कर दियाइसकी हिम्मत तब बड़ी जब इसके जैसे ही बहुरूपिये इसकी हा में हा मिलाते गए ! इन लोगो का बाबासाहब की मोवेमेंट से कोई वास्ता नहीं था ! ऐसे लोगो ने कांशीराम को साथ दिया ! और फिर वही से कांशीराम का बाबासाहब को काउंटर करके खुद को मसीहा बनाने का सिलसिला शुरू हुआ ! तब इसके पास पैसा भी आया था ! बिना कमी का ! एक पहचान भी मिली थी ! महाराष्ट्र के पैसे के बदौलत इसने यु पी में चुनाव लड़े ! महाराष्ट्र के लोग बर्बाद होते गए और यह रामदौसिया अपनी (मायावती) के साथ सुकून की जिंदगी गुजारने लगा ! वही से शुरू हुआ "जय भीम" से "जय कांशीराम" का दौर ! और आज देखो बाबासाहब के बदौलत सब कुछ हासिल करने वाले भी रामदौसिया (कांशीराम) के हो गए ! जहाँ से "जय भीम" निकल गया ! और "जय कांशीराम" गया ! आंबेडकरी मोवेमेंत को सबसे बडा खतरा याही से शुरू हुवा ! क्या इसे रोका जन जरुरी नाही है ? क्या बाबासाहाब के पंक्ती मी बैठने कि औकात है इस चोर रामदौसिया (कांशीराम) की ? यह सब आपको सोचना है ! -----प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपूर.

टीप :- ************क्रमशः आगे भी पडते रहना कांशीराम का पोस्टमार्टम ! और भी की खुलासे होने अभी बाकी है ! आज के लिये इतनाही ! "जय भीम"  

8 comments:

  1. I like this postmortem...aap ne to muzme ghussa tha wo firse nikal aya hai.....

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  2. changla chok ghetala kanshi cha zakkasssssssssss

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    1. truly nonsense. you show that mahars and so called Buddhist is a biggest threat to the movement . kanshi ram sahab was so disappointed from so called (half) educated mahars like you! that's why he left maharashtra. you can convince on this bullshit article people like you but no one sensible and intellectual class would acclaim you.
      before critisizing such great personality can you tell what is contribution in movement.your article is pathetic and waste and nothing!

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    2. What do u think that mahar are not educated so called mahar or currently budhist are the on 2 no in IAS officer in this country...and even ambedkar said that mahar has supported me i will never be able to payback their favour and who are u to question us ?

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  3. मी आपला कांशीराम संदर्भातील लेख वाचला. बाबासाहेब तुमच्यात ओतप्रोत भरलेला आहे हे लेखावरून जाणवते. खूप चांगली बाब आहे. आज त्याची गरज आहे. बाबासाहेबांच्या स्वप्नातील भारत निर्माण करण्यासाठी कूटनीती, गोबेल्स तंत्र याची गरज आहे असे नाही का तुम्हाला वाटत?. तुम्ही प्राध्यापक आहात. सामान्य जनासारख्या अतीभावनात्मक संवेदनातून तुम्ही विचार व्यक्त करता व मांडता.विचाराने थोडे परिपक्व व मजबूत व्हा. अती संवेदनशील भावनेवर स्वत:चा ताबा ठेवा तोल जाऊ देऊ नका.आंबेडकरांच्या स्वप्नातील भारत निर्माण करण्यासाठी त्याची गरज आहे.

    बापू राऊत,9224343464
    www.bmraut.blogspot.in

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  4. प्रा. संदीप नंदेश्वर जी, आपके द्वारा लिखी पोस्ट “ कांशीराम का पोस्टमार्टम - पार्ट – 1“ पढ़ी. आपकी पोस्ट से अगर अशिष्ट और अपशब्दों को निकाल दिया जाये तो प्रमुखतः ऩिम्नलिखित बिन्दुओं को लेकर आपने मान्यवर कांशीराम की आलोचना की है.
    1. १९५९ में पंजाब विश्वविद्यालय से मास्टर आफ सायंस करने वाला यह कांशीराम बाबासाहब को १९६९ तक नहीं जानता ( जिस पंजाब में १९५७ के आम चुनाव में आर पी आय के ५ विधायक पंजाब अस्सेम्ब्ली में चुन कर आये थे ).
    2. पंजाब में उस वक्त एक अच्छी खासी मोवेमेंट बाबासाहब की चल रही थी, कांशीराम महाराष्ट्र में आकर बाबासाहब का नाम सुना.
    3. "जय भीम" कांशीराम बोल कर "जय भीम" बोलने वाले लोगों को संगठित किया और स्वयं को बाबासाहब के movement का मसीहा कहना शुरू कर दिया.
    4. बार बार एक ही किताब "Annihilation of Caste" का नाम लेकर लोगो को संगठित किया.
    5. कांशीराम ने movement के नाम पर लोगो से चन्दा बसूला. सबसे पहले सहयोगी बना नौकर पेशा आदमी !
    6. १० साल तक महाराष्ट्र में रहने के बाद कांशीराम उत्तर प्रदेश चले गये और महाराष्ट्र के लोगों को गद्दार कहा. महाराष्ट्र के पैसे से कांशीराम ने उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़े. वही से शुरू हुआ "जय भीम" से "जय कांशीराम" का दौर और आज देखो बाबासाहब के बदौलत सब कुछ हासिल करने वाले कांशीराम ख्याति-प्राप्त हो गए. जहाँ से "जय भीम" निकल गया "जय कांशीराम" आ गया.

    प्रा. संदीप नंदेश्वर जी , मैं आपसे जानना चाहता हूं कि उपरोक्त बिन्दुओं में ऐसा क्या है ? जो एक महापुरुष के आलोचना के लायक है ?

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    1. Is Lekh me jo kuch Bhi Likha hai ...uasase pata chalata hai ki ...Ye lekh likhane wale ke kitane Baap hoge ..aur is ki manshik stiti kitani Kharab hai..ye Murkh duniya ke konse kone me rahata hai kya pata...is ke Baap Ne ise sahi itihas nahi bataya hai ...isi wajahase is ki soch murkh aur mand hai...

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    2. खराटे बेवकूफी का प्रदर्शन करने से पहले पढ़ना सिख ले उसके बाद मेरे से बात करना ! और जी बाप की दुहाई देखर तू जी रहा है उस कांशीराम के बारे में फिर एक बार पढ़के आ ! समाधान नहीं हुआ तो मुझे 8793397275 इस नं. पर संपर्क करना ! या फिर नागपुर में मिलने आना. सामने बिठा कर तेरे बाप गिनवा दूंगा !

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