संकल्प करना था
कल का दिन कुछ और था
रात की नुमाइंदगी अलग थी
दिन की शुरुवात ख्वाब था
उगते सूरज का इंतजार था
आनेवाले दिन में कुछ करना था
बीते हुए पल को संजोना था
कल की सारी खट्टी बाते भुलाना था
मीठी बाते आज में लाना था
सुबह बड़ी सुहानी थी
रोशनी चारो और जगानी थी
दूर तक पहुचना था
आप सभी से मिलना था
शुभ प्रभात कहना था
दुश्मनी को भुलना था
दोस्ती को निभाना था
मिलके साथ चलाना था
आपके साथ कुछ और संकल्प करना था
हम सब एक है यही बस कहना था
फिर एक बार "जय भीम" का नारा लगाना था
---"जय भीम"---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर, ८७९३३९७२७५
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