Tuesday, 21 June 2011

नीला कलंदर

नीला कलंदर
 
नीले आसमान में नीला समंदर 
धरती नीली मै नीला कलंदर
बंजर हुई जमीं पर अकसर 
उगता हुआ नीला बवंडर 
 
जब जब इन्सान हुआ है शैतान 
ताकत बनी करुणामय इन्सान
मै क्यू लढता हूँ, खुद से हैरान
बाहर क्यू फैला है, जमीं ये वीरान
 
सोच से बड़ी नहीं कोई युक्ति
प्यार से बड़ी नहीं कोई भक्ति 
बन सकता है हर कोई व्यक्ति 
बुद्ध से बड़ी नहीं कोई शक्ति
---जय भीम---जय बुद्धा---
---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर.

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