Wednesday, 18 May 2011

शिक्षा क्यों ? किसलिए ? और कैसी ?

कुछ लोग कहते है की,  शिक्षा से अंधश्रद्धा दूर होती है, लोग सुधर जाते है, लोग वैज्ञानिक होते है, देश तरक्की करता है, इन्सान बदल जाता है, गरीबी दूर होती है, .... ऐसा कहना क्या सही है.....?, अगर है.... तो फिर पढ़े लिखे लोग भगवान के मंदिर क्यों जाते है, पढ़े लिखे लोग बाबा बुवाओंके  पास क्यों जाते है, हमारे खिलाडी जितने के लिए मंदिर, मस्जित, गुरूद्वारे क्यों मन्नत मांगने जाते है.... सचिन तेंदुलकर साईं के दर्शन क्यों लेता है,....
क्या आजे की शिक्षा तो तुम्हे हमें दी जा रही है वो इस लायक है की इन्सान को इन्सान बनती हो, सच्चाई की रह दिखाती हो, हमारे संविधान में राज्य निति की निर्देशक तत्वों में बताया गया है की शासन वैज्ञानिक शिक्षा को बढ़ावा देगा...क्या ये हो रहा है...मौलिक कर्तव्यो में बताया गया है की हम देश के अन्दर एक संशोधक  एवं
वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देंगे...क्या ये हो रहा है... अगर हो रहा है तो फिर, स्कुल और कॉलेज में बच्चो को सरस्वती, गणपति, और हिन्दू धर्म का नंगा नाच क्यों दिखाया जा रहा है...
इसलिए मै कहता हु की शिक्षा कैसी दी जा रही है इसपर भी काफी कुछ निर्भर करेगा..हमें हमारी शिक्षण संस्थाए स्थापन करनी होगी...हमें हमारे बच्चो को मानवतावाद की शिक्षा देनी होगी...इस देश की शिक्षा प्रणाली को बदलना होगा...क्रांति करनी होगी...वरना बेरोजगारी की जमात में और एक नाम आपका, मेरा, हमारे भैयोंका फिर जुड़ जायेगा... बेरोजगारीयोंकि जमात बढेगी, देश, समाज, इन्सान विकसित नहीं होगा...भाई शिक्षा जरुरी है मै यह मानता हु लेकिन वो शिक्षा कैसी होनी चाहिए इसपे भी जरा गौर कीजिये....
आज शिक्षा लेकर पढ़े लिखे लोग किस तरह बनाते जा रहे है, यह आपके आजू बाजु में घटती हुई घटनाओनसे आपलो समझ में आता होगा...क्यों ये शिक्षा इनके जीवन में परिवर्तन नहीं ला सकी...?  क्यों...? आखिर क्यों...?
क्योंकि उन्होंने जो शिक्षा ली है वो इन्ही जतिवालोंके स्कुल और कॉलेज में पढ़कर ली है, वो नहीं बदल सकते...अगर समाज को बदलना है..तो अपनी संस्थाए खुलवाओ...और इससे भी अगर देश की समस्या हल नहीं होती तो  बुद्ध के शरण में आके दिखो हर समस्यओंका समाधान खुद ब खुद ढूंड लोंगे...दूसरोंकी जरुरत नहीं होगी....
शिक्षण प्रणाली बदलने के लिए आन्दोलन करो..!
खुद की शिक्षण संस्थाए स्थापित करो...!
बच्चो में सरस्वती की आरती या गणपति की पूजा नहीं त्रिशरण और पंचशील बोलने लगाओ...!
हजारो लाखो रूपया देकर अपने अच्छो को भाड़े के स्कुल कॉलेज में दाखिला देने से अच्छा इकट्टा आकर अपनी स्कुल खोलो...!
बेवाकुफोंसे शिक्षा ग्रहण करने से अच्छा बुद्धिवादी लोगो से शिक्षा ग्रहण करो...!
---बाकि आप खुद समझदार हो----
---जय भीम---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर, ८७९३३९७२७५

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