Monday, 23 May 2011

रतन टाटा : चोर मचाए शोर (चोराच्या उलट्या बोंबा)

रतन टाटा : चोर मचाए शोर
(चोराच्या उलट्या बोंबा)

भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति एवं सांसद रतन टाटा लंडन में प्रेस को संबोधित करते हुए ये कहते है की, "भारत में गरीबी और दारिद्र्य बढ़ता जा रहा है फिर भी रिलायंस उद्याग समूह अध्यक्ष मुकेश अंबानी जी मुंबई में हजार कोटि रुपयोंकी लागत से आलिशान महल बनवा रहे है ! यह भारत के लिए और हमारे लिए बहोत ही शर्मिंदगी वाली बात है !" और आगे वो कहते है, "हम भारत में फैली हुई असनाता दूर करने के लिए प्रयास ही नहीं कर रहे है ! बल्कि उसी असमानता को बरक़रार रखने की पुरजोर कोशिश की जा रही है ! हम उस असमानता को दूर करने की सिर्फ बात करते है ! लेकिन प्रयास कभी नहीं करते !"

रतन टाटा जी आप भारत के एक बड़े उद्योजक है ! इतनाही नहीं तो देश के सांसद भी हो ! आप के द्वारा कही गई बात बिलकुल ही सही है ! इसमें कोई दोराह नहीं है ! पर क्या आप इस बात पे खरे उतरते हो ? जो काम मुकेश अंबानी कर रहे है क्या आप नहीं करते ? क्या आप किसी झुग्गी जोपडी में रहते होजिस मुंबई शहर में आप का ताजमहल होटल है उस मुंबई की धारावी झोपड़पट्टी में कभी एक रत निकली है ? मेलघाट में गरीबी और कुपोषण से लोग मर रहे है क्या उनके लिए कोई सुविधा आपने वहा जाके उन लोगो के लिए बने है ? ताकि वो लोगोंको सकस और अच्छा आहार मिल सके ! क्या आपने महलों में रहना बंद किया है ? अगर आप महल से बहार आकर उस असमानता के शिकार हुए लोगो के घर जाते तो आप को पता चलता ! गरीबी क्या होती है ? किस तरह आप और आप जैसे उद्यमियोंने इस देश कोइस जनता को लुटा है ?

रतन टाटा जी मुकेश अंबानी के लिए तो आपने सही फरमाया पर आप इस असमानता को कैसे दूर करोगे यह नहीं बताया ?  आप यह कहोगे की हम कोई एखाद दूसरी च्यारीटी चलते है ! पर क्या एक या दो च्यारिटी ट्रस्ट चलाने से इस देश की गरीबी और असमानता दूर होगी ! आज भी भारत में तक़रीबन ४५ % लोगोंका उत्पन्न  दरिद्री रेखा के निचे का है ! गरीबी भारत के तकरीबन ६५ से ७० % लोगो में है ! आपकी गरीबी और दरिद्री रेखा की  आकड़ोंका सही संशोधन किया जाये ! तो यह दिल दहला देने वाला सच दुनिया के सामने जायेगा !  इसलिए जानबूझकर आप जैसे लोग संसद में बैठकर इन आकड़ोंको कम करते रहते है ! एक तरफ जख्म देना और दूसरी तरफ उसी जख्म पे नमक छिडकना यह कौनसी निति आपने अपने है ? जरा बताने का कष्ट करोगे ?

सांसद बनाने के बाद हमें याद है की आपने शिक्षा क्षेत्र को पुरी तरह से खाजगी क्षेत्र में  लाने के प्रयास किये है ! इतनाह नहीं बल्कि यहाँ का उद्योग जगत और बड़े और आप जैसे बड़े पेट वाले और इन गरिबोंका खून चूस ले इसके लिए सेझ जैसी बीमारिया इस देश में पैदा की ! हजारो किसानो से उनकी जिंदगी छिनी ! किसानो को वक्त के रोटी के लिए तडपायाविदेशी विश्वविद्यालयों को यहाँ आमंत्रित कर यहाँ की असमानता बढ़ने का प्रयास और भी मजबूत किया ! क्या विदेश विश्वविद्यालयो में गरीबी रेखा के निचे जीने वाले लोग शिक्षा ले सकते है ? क्या सेझ में बन रहे उद्योग समूह में किसान अपनी कोई कंपनी खोल सकता है ? असमानता में जी रहे लोगो को क्या आप मुफ्त में शिक्षा दे सकते है ? क्या इन लोगो को आपके सेझ में आरक्षण के आधार पर नौकरिया दे सकते है ?

मै समझता हु की आप इन में से कितने सवालो का जवाब दे पाते हो या नहींपता नहीं ! पर आप दुनिया अमिर लोगो के श्रेणी में आते हो ! मुकेश अंबानी के साथ साथ आप का भी नाम दुनिया के अमिरोके सूचि में है ! फिर आप ने आजतक ऐसा कौनसा काम किया है जो यहाँ की असमानता और गरीबी दूर करने में कारगर साबित हुई हो ? आपने आपके अबजो रुपयोंमेसे कितने रुपये गरीब और असमानता के शिकार हुए लोगो को पढ़ाने में खर्च किये है ?  गरीब बच्चो को शिक्षा में संशोधन करने हेतु कितनी राशी आबंटित किये हो ? गरीब बच्चो को अभियांत्रिकी और वैद्यकीय शिक्षा ग्रहण करने हेतु कितने स्कुल और विश्वविध्यालय खोले है ? जिसमे बच्चो को मुफ्त में यह शिक्षा दी जा रही है ?

रतन टाटा जी आप जैसे लोगो ने ही तो यहाँ पर गरीबी और असमानता को बढ़ावा दिया है ! जातिवाद के रक्षक भी आप जैसे लोग ही है ! और गरीब भारतीयोंके भक्षक भी आप जैसे लोग ही है ! आप जैसे लोग इस देश में है यही तो इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है ! अरबो रुपये रोज आपकी आमदनी है ! खैर वो आपकी है ! हम ये नहीं कहेंगे की आप उसे लुटा दो ! लेकिन आप इस देश के सांसद होने के नाते आप को सरकार की तिजोरी से जो हर माह तनखा मिल रहा है ! वो आप क्यू ले रहे हो ? वो पैसा तो देश के किसान, मजदुर और गरिबोंका है ! उनके मेहनत में भी आप का हिस्सा है ! लेकिन आपके पास मौजूद बेहिसाबी संपत्ति में किसी भी भारतीय का हिस्सा नहीं ! यह कौनसा न्याय है ? यह कौनसी असमानता को दूर करने की नीति है ? क्या इसका जवाब है आप के पास ?

आप लोगो ने हमारे खून पसीने से कमाई हुई रोटी को हमसे छिना हैहमारा खून चूस कर आपने महल बनाये हैऔर आज भी हमें लुट रहे हो ! इसका जवाब मुकेश अंबानी को ही नहीं बल्कि आपको और आप जैसे खून चूसने वाले इस देश के दलाल रक्षासोंको देना होगा ? आज हम उसका हिसाब मांग रहे है ! इतना ही अगर गरीबो की गरीबी की चिंता है ! देश में फैले हुए असमानता की चिंता है ! तो आप की संपत्ति सरकार के माध्यम से इस देश में जिन लोगो को आज भी मौलिक सुविधाए मिल नहीं रही है ! उन्हें वो मुह्हय्या कराने में लगाओ ! जिन के घर में आज भी दिए तक नहीं जल रहे है ! उनके जीवन में रोशनी लाने के लिए लगाओ ! बढती हुई बेरोजगारी एक दिन तुम्हारा खून चुसना चाहेगी ! उसके पहले यहाँ के साधनहीन और पढ़े लिखे बच्चो को उद्योग में लाने के लिए उन्हें अपनी संपत्ति से धन मुहय्या कराओ ! "मुह में राम और बगल में छुरी" ऐसी आपकी नीतिया आज तक लोगो ने बहुत सही है ! जरा अभी तो अपनी अकाल को ठिकाने लगाओ !

और हाँ ! आप को गरीबोंकी और यहाँ के असमानता की इतनी ही फिकर है ! तो आप के द्वारा पत्तर से बने भगवान और उनकी मूर्तियों में लाखो और अरबो रुपयोंका चढ़ावा आप के द्वारा चढ़ाया जाता है ! वो क्यू ? यहाँ लोगो को रहने के लिए घर नहीं ! पहनने के लिए कपडे नहीं ! खाने की लिए अनाज नहीं ! पढ़ाने के लिए स्कुल नहीं ! रोशनी नहीं ! पर पत्थर से बने भगवान के मंदिर सोने से झगमगा रहे है ! घर में अँधेरा होता है लेकिन मंदिर में कभी अँधेरा नहीं ! जहा रोशनी की जरुरत नहीं वहा बिजली फुकट में बहाई जा रही है ! क्या यह असमानता नहीं ? क्या यह जीता जगाता इन्सान और पत्थर के भीच में फैला हुआ भेद, असमानता नहीं !

सुना था आप शिर्डी के मंदिर में, बालाजी के मंदिर में, लालबाग के राजा को, सुवर्णमंदिर में, और दरगाह पर चढ़ावा चढाते हो ! लेकिन कभी यह नहीं सुना है की, आपने किसी विहार को दान दिया हो ! अस्पृश्य और दलितोंके वाचनालयों में उन्हें पढ़ाने के लिए कुछ किताबे दी हो ! दलित, अस्पृश्य, गरीब, भूमिहीन, मागास, कामगार इन लोगो के उत्थान के लिए आप ने कुछ किया हो ऐसा कभी सुनाने में नहीं आया ! ऐसा क्यू ? हाँ यह जरुर सुनने में आया की आपने मंदिर, मठ को बड़े बड़े दान चढ़ाये ! रतन टाटा जी आप खुद यहाँ की असमानता की दलदल में इतने फसे हो की आँखों पर पट्टी बांध कर असमानता दूर कराने की बात कर रहे हो ! यहाँ की असमानता दूर कराने के लिए ६० साल पहले ही हमारे संविधान में प्रयोजन किये गए है ! क्यू आप उस संविधान के प्रयोजनों को नकार रहे होक्यू उन पर अंमल नहीं करते ? मुकेश अंबानी हो या आप या आप जैसे और भी अब्जोधिशों की संपत्ति सिमित कर वो सेवा क्षेत्र में नहीं लगे जा रही है ! वैसे भी इतनी संपत्ति की आखिर आप को जरुरत ही क्या है ? भारत में संपत्ति के होने वाले केन्द्रीकरण को रोखाने के लिए कोई विधेयक आप के द्वारा संसद के सामने क्यू नहीं रखा जा रहा है ! यह करोगे तो मेरा देश भी बच जायेगा ! आनेवाली पीढ़िया बरबाद होने से बचेगी ! मेरे गरीब भाइयोकी गरीबी दूर होगी ! रतन टाटा जी !

जीतनी शक्ति आप ने मुकेश अंबानी पर बोलनेके लिए लगे है उतनीही या उससे काम शक्ति अपनी संपत्ति का एक छोटा सा हिस्सा किसी समाज की तरक्की के लिए घोषित किया होता ! तो पुरे देश को आप पर गर्व हुआ होता ! लेकिन विदेश में जाकर एक चोर ने अपने ही घर में पल रहे और उसीका भाई दुसरे चोर के बारे में कहकर आखिर क्या साबित करना चाहता है ? आप ने कही हुई बात का हम स्वागत करेंगे जब इन सवालोंका जवाब मिलेगा ! "खुद के घर शीशे के होने के बावजूद दुसरे के घर पर पत्थर उछालने की आदत" देश की असमानता दूर नहीं करेगी ! जबतक आप के और आप जैसे और लोगो के पास की बेमालूम और बेहिशेबी दौलत सरकार जप्त नहीं करता ! आप को उन गरीबो की झोपड़ियो में दिन रहने की सजा नहीं देता ! तबतक आप जैसे यु ही इस समाज और देश को लुटते रहेंगे ! और ममता का घिन्नोना चेहरा बनाकर उसपर मलम लगते रहेंगे !

मै कहता हु आज भी समय हैलोगो को लुटाना बंद करो ! गरीबी की खाई को कम करो ! देश की भलाई बहुसंख्य लोगो के जीवनमान को सुधारने में है ! वरना आज इस तरह से संपत्ति का केन्द्रीकरण हो रहा है की पैसा पानी में बहाया जा रहा है ! जलाया जा रहा है ! हवा में उडाया जा रहा है ! और दूसरी तरफ भूखेकंगाल लोग रोजीरोटी के लिए तड़फ रहे हैबेरोजगारी बढाती जा रही हैशिक्षा लेकर नौकरी की तलाश में हताश यहाँ का युवा वर्ग गुनाह की तरफ बढ़ता जा रहा है ! हो सकता है आने वाले दिनों में जिन लोगो को आपने लुटा है वही लोग आप को लुट ले ! आप जैसे लोगो का जीना हरम कर दे ! वक्त जाने से पहले इनके लिए कुछ करो वरना यहाँ पर जीना इतना आसन नहीं होगाइन्सान को बचाओसमाज को बचाओदेश को बचाओ ! आप खुद--खुद बच जाओगे ! देश के हित में सोचो उसी में आप का हित है ! पर समाज के बहुसंख्यक वर्ग के बारे में सोचो उसीमे आप का भविष्य है ! -----बाकि आप खुद समझदार हो !---------
------प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर८७९३३९७२७५    

3 comments:

  1. वाह संदीपजी आपने बहोतही अभ्यासपूर्ण ढंग से रतनजी कि खबर ली है! आपकी फेसबुक या शब्दान्वेषण कि भी पोस्टिंग इसी तरह हर पढनेवाले को सोचने,पढने व लिखने के लिये मजबूर करती है ! सही में आप एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व हो जो युवा पिढी को विचारो को सही दिशा देने का काम कर रहा है...धन्यवाद ..नमो बुद्धाय ..जय भीम ..

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  2. वाह संदीपजी आपने बहोतही अभ्यासपूर्ण ढंग से रतनजी कि खबर ली है! आपकी फेसबुक या शब्दान्वेषण कि भी पोस्टिंग इसी तरह हर पढनेवाले को सोचने,पढने व लिखने के लिये मजबूर करती है ! सही में आप एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व हो जो युवा पिढी को विचारो को सही दिशा देने का काम कर रहा है...धन्यवाद ..नमो बुद्धाय ..जय भीम .. Anand Jadhav
    23 May 2011 21:43

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  3. I disagree with you completely. Tatas have given a lot to this country. Kindly read the book "Creation of Wealth" by R M Lala. http://www.penguinbooksindia.com/section/BUSINESS_CLASS/Business_and_Management/Creation_of_Wealth_9780143062240.aspx

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