Friday, 9 September 2011

सोंड वाला

सोंड वाला

अब आधा जानवर आधा इन्सान
चौराहों पर कैसे बैठा घर घर में
इंसानी बुजदिली का गन्दा खेल
अब पूजते है लोग घर घर में

पता था आज तक इंसानी जन्म का राज
इन्होने बदला डाला सोंड वाले का जन्म का राज
कहते है मल से पैदा हुआ, मरकर भी जिन्दा हुआ
न देखा न सुना ऐसा ही कारनामा इसने कर दिया

अब देखो नहाने की जरुरत नहीं
साबुन से हमारा कोई रिश्ता नहीं
फिर देखो घर घर में
एक नया सोंड वाला पैदा होगा मल से

अकल के दुश्मनों अब तो जरा जान लो
मत भूलो अपनी पैदाइश अब तो इसे पहचान लो
शक्तिशाली, बलशाली, मलाधिश नहीं आता तुम्हे बचाने
वरना आतंकवादी, दहशतवादी नहीं घुमते चौराहों में
---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर. ८७९३३९७२७५

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