Friday, 2 September 2011

ए-दुनिया वालो

ए-दुनिया वालो

बदलते हुए तस्वीर में आनेवाला कुछ खास है
आईने ने करवट बदली तो सूरत भी कुछ खास है
सत्ता तो बदलेगी उसीमे कुछ राज है
देखो ए-दुनिया वालों अब होने वाला कुछ खास है
दिल्ली के तख्तो ताज में सबकुछ राज है

गलियारों की जिंदगी से इन्हें क्या लेना देना
रौंध कर उन्ही को तो बनता है सभ्य समाज
सभ्यता की आड़ में लुटना है आसान
देखो ए-दुनिया वालो कैसी है ये आँधी
बुझ रहे है चिराग यु ही अपने आप
उतरते नहीं रस्ते पे यु ही अपने आप

हम भूल जाते है अक्सर असलियत का चेहरा
याद करते है बस बहुरुपियोंका खेल तमाशा
पर ये खेल तमाशा तुम्हे हमें ले डूबेगा
जान लो ए-दुनिया वालो वक्त के इस दरिंदगी को
रौंध न दे सस्ते में तेरी मेरी जिंदगी को

---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर. ८७९३३९७२७५, ९२२६७३४०९१

No comments:

Post a Comment