Wednesday, 7 September 2011

बाबासाहब और बुद्ध

 बाबासाहब और बुद्ध
जब भी दिलो दिमाग से सोचता हु
बाबासाहब और बुद्ध याद आते है !

जब भी कोई किताब पढ़ने जाता हु
बाबासाहब के किताबो की याद आती है !

जब भी किसी समस्या से घिर जाता हु
निदान के लिए बाबासाहब का सन्देश याद आता है !

गुलामो के शहर में जब सोचता हु अकेला हु
बाबासाहब और बुद्ध के विचार साथ होते है !

समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बधुता की लढाई करता हु
बाबासाहब का शिपाई कह कर भाग जाते है !

वर्तमान की बेरहमी में जब भी किसी को देखता हु
भविष्य के निर्माण में बाबासाहब बुद्ध याद आते है !
---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर. ८७९३३९७२७५, ९२२६७३४०९१

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