Monday 9 July 2012

क्या सिर्फ शो में उत्पीडन के किस्से सुनाके जातिगत उत्पीडन कम होगा ?

 
क्या सिर्फ शो में उत्पीडन के किस्से सुनाके जातिगत उत्पीडन कम होगा ?

आम्बेडकरवादी समूह प्रतिक्रियावादी है ! यह आज सारी दुनिया जानती है ! क्यों न हो दुनिया में जो भी जुल्म और सामाजिक विडंबन का इतिहास है उसमे सबसे ज्यादा सामना इस समूह ने किया है ! कई वर्षो से चले आये इस जुल्म और सामाजिक विडंबन को बाबासाहब ने पैरोतले कुचलकर इस समूह को जीने की रह सिखाई है ! एक नए इतिहास के तरफ हमें ले गए है ! इसलिए यह समूह आज भी आँखों में अंगारे लेके हर पल पहरा देते रहता है ! वो अपनी अस्मिता की सुरक्षा खुद करना जानता है ! बाबासाहब की प्रेरणा उन्हें कभी स्वस्थ होने का मौका नहीं देती ! इतनी तकलीफों के साथ आज हमें कुछ मिल पाया है ! उसकी सुरक्षा करना हमारी नैतिक जिम्मेवारी है ! जिस जातीउत्पीडन के हम शिकार थे ! बाबासाहब ने उसे ख़त्म कर हमें मानवीयता की उंचाइयो तक पहुचाया है ! इसलिए उस ऊंचाईपर आप को देखकर जातिवादी ब्राम्हण परेशान होना लाजमी है ! जिसके चलते फिर एक बार "सत्यमेव जयते" इस रिअलिटी शो का सहारा लेकर वही जातिगत उत्पीडन को सामने लाया गया ! जिसका मुख्य उद्देश यह था की, उस ब्राम्हण पंडित को वहा बुलाकर उसके द्वारा इस देश को यह बताना की हम संविधान को नहीं बल्कि मनुस्मृति को मानते है ! इसलिए आज हम उस शो के ऊपर प्रतिक्रिया दे रहे है ! कहिपर इस शो में बाबासाहब का नाम नहीं लिया गया इसलिए ! तो कही पर भी बाबासाहब ने दिए हुए जतिनिर्मुलन के उपाय दोहराए नहीं जाने के कारन ! और यह प्रतिक्रियाये आना लाजमी भी है ! क्योंकि इस देश में एक ही महामानव हो के गया है जिसने इन सारी समस्यओंका सामना करते हुए इस जातिव्यवस्था को खत्म करके दलित उत्पीडन को खत्म करने के सुझाव दिए है !

पुरे शो के दरम्यान इस जातिगत उत्पीडन को दूर करने के लिए कोई सुझाव नहीं दिए गए ! किसी भी समस्या को जब हम उठाते है तो उसके साथ साथ उस समस्या को सुलझाने का प्रयास भी करते है ! वह दूर करने के लिए कुछ सुझाव भी देते है ! तबतक उस समस्या का हल नहीं निकल सकता ! पर कल के सत्यमेव जयते में सिर्फ समस्या का पाढा पढ़ा गया ! न की कोई उसपर उपाय बताया गया ! यही कल के "सत्यमेव जयते" का खास पहलू है !  और वह ऐसा नहीं करना चाहते ! क्योंकि अगर इस जातीउत्पीडन की समस्या को सुलझाने का कोई सुझाव या उपाय वो देते तो बाबासाहब के अलावा उनके सामने कोई दूसरा नाम नहीं आता था ! और फिर एक बार बाबासाहब लोगो के दिलो दिमाग में बस जाते थे ! शो के प्रोडूसर और उनके सभी साथी भी यही चाहते थे की गाँधी आया तो चलेगा पर कभी बाबासाहब गलती से भी उस शो में नहीं आने चाहिए !

कल शाम को इसी विषय को लेकर हमारी डॉ. यशवंत मनोहर, मा. एन. जी. काम्बले, प्रमोद वालके जी से काफी लम्बी और गहन चर्चा चली ! उस चर्चा में भी मैंने यही विषय रखा की इस शो का मतलब यह नहीं था की उन्हें जतिउन्मुलन करना है ! उनका मकसद यह था की, हिन्दू पंडितो के माध्यम से यहाँ के हिन्दू इस देश का संविधान नहीं बल्कि मनुस्मृति को मानते है यह हिन्दू लोगो के जहन में उतरना ! और वो इस मिशन में सफल भी हो गए ! क्योंकि इसी कड़ी को लेकर मै आप का ध्यान और एक तरफ खींचना चाहता हु की आज कल हिन्दू संघटनो के कुछ प्रमुख लोगो के माध्यम से हिन्दू पंतप्रधान होना चाहिए ऐसी चर्चा सुर्खियों में चल रही है ! कल का दि- ०८-०७-२०१२ का "सत्यमेव जयते" यह शो उसी कड़ी का हिस्सा है ! आज दि. ०९-०७-२०१२ के वर्तमान पत्रों में आया है की, विश्व हिन्दू संघटन के प्रवीन तोगड़िया ने भी कहा है की, "इस देश का पंतप्रधान हिन्दू ही होना चाहिए !" यही है सच्चाई !
हालाकि देश की जनता यह जानती है की जतिनिर्मुलन के लिए किसी ने काम किया है तो वह डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर जी ही है ! पर इन्होने इसके लिए गांधीजी को सामने लाया ! लोगो के दिमाग में यह डालने के लिए की, "देखो हिन्दू धर्म में रहकर ही हिन्दू धर्म से जातिवाद को मिटने के लिए गाँधी ने क्या काम किया है !" इस विषय पर गाँधी को लाना साफ जाहिर करता है की जैसे गाँधी ने हिन्दू धर्म में ही रहकर जातीउत्पीडन को बड़े गोल मोल तरीकेसे घुमाया है ! उसी तरह उस शो में जिन लोगो पर जातीउत्पीडन हुआ है उन लोगो को बाबासाहब के साथ नहीं बल्कि गाँधी के साथ वे जोड़ना चाहते थे ! और यह शो कही भी एकतरफा न हो इसलिए कुछ शिख, मुस्लिम और ख्रिश्चन भाइयोंको को भी इन्होने उसमे शामिल कर दिया ! अब समाज में चर्चा तो चल रही है ! पर वह चर्चा हिन्दू, मनुस्मृति, और गाँधी के इर्दगिर्द घूम रही है ! हो गए वो अपने काम में सफल ! उनका तो यही मकसद था की इस समस्या को उठाकर इस विषय पर लोगो का ध्यान बटाना ! और इधर भाजपा, आर एस एस, विश्व हिन्दू परिषद् अपना हिन्दू प्रधानमंत्री का मुद्दा उठा ही रहे है !

भाइयो बड़ी गंभीरता से सोचना होगा ! विषय भलेही जातिवाद का हो, लेकिन उनका सही मकसद पहचानना होगा ! यहाँ का आम्बेडकरवादी समूह प्रतिक्रियाये जरुर देगा यह उन्हें मालूम था ! इसीलिए उन्होंने एक भी आम्बेडकरवादी समूह के इन्सान को वहा शो में नहीं बुलाया ! बल्कि जो लोग आम्बेडकरवादी नहीं है ! जो लोग आज भी हिन्दू दलित कह कर ही अपना गुजर बसर कर रहे है वही लोग वहा पर आये ! यह कहने के लिए की, "देखो भाई हम आपके ही लोग है ! हम हिन्दू ही है ! और हिन्दू ही रहना चाहते है ! सिर्फ हमें सताना बंद कर दो !" अरे भाई जब आपको मालूम है की आप के धर्म में ही आप को इस तरह के उत्पीडन का सामना करना पड़ रहा है ! फिर भी आपके लिए वही धर्म आज इतना प्रिय कैसे हुआ ? क्यों आज भी आप सिर्फ हिन्दू धर्म के पंतप्रधान की वकालत कर रहे हो ? बाबासाहब ने इसी उत्पीडन को ख़त्म करने के लिए मनुस्मृति का दहन किया था ! आप उसी मनुस्मृति को आज भी मानने की सलाह समाज को दे रहे हो ? यह कैसी निति है ?

क्या सिर्फ शो में उत्पीडन के किस्से सुनाके जातिगत उत्पीडन कम होगा ? क्या सिर्फ यह कहने से की आज की विज्ञान के युग में भी जातिगत उत्पीडन हो रहे है ! क्या लोगो को न्याय मिलेगा ? जबतक हम उस उत्पीडन को ख़त्म करने का साँझा सुझाव नहीं देते ! उसके लिए उपाय नहीं देते ! तबतक यह उत्पीडन की कहानिया ख़त्म नहीं हो सकती ! और जातिगत उत्पीडन को ख़त्म करने का एकमात्र उपाय सिर्फ और सिर्फ बाबासाहब को अपनाना है ! भारतीय संविधान को अपनाना है ! जाती और धर्म की पहचान मिटाकर "मै भारतीय हु" की पहचान बनाना है ! तबतक इस समस्या का कोई हल नहीं निकल सकता !

---डॉ. संदीप नंदेश्वर, नागपुर.  

1 comment:

  1. I am a higher caste hindu, but i totally agree with you. Even I felt something was wrong with the show but couldn't guess it, probably because of my higher caste. But you nailed it bro! But instead of just writing blog why don't you post videos on youtube? That way you'd reach millions of indians. Its much more effective than blogs. All the best!

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