Thursday, 17 November 2011

हम

हम

हम सर्दियों में

बर्फ पर सोते है !

हम गर्मियों में

अंगारों को गले लगाते है !

लोग जिंदगी जीते है

कत्लेआम करने के लिए !

हम क़त्ल होकर भी जीते है

जिन्दगिया बसाने के लिए !

---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर...८७९३३९७२७५, ९२२६७३४०९१

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