मेरिट और आरक्षण का कोई लेनादेना नहीं
भारतीय शिक्षा पद्धति प्रतिशत मार्क पर चलती है ! आरक्षण विरोधी इसी का लाभ उठाकर यह कहते है की हमें ज्यादा प्रतिशत होने के बावजूद आरक्षण के कारण कम प्रतिशत वालोंको मौका मिलता है ! कोई मुझे बता सकता है की प्रतिशत से किसी की गुणवत्ता और व्यक्तिमत्व की परख हो सकती है ? मेरे अनुभव के आधार पर मै ऐसे लोगो को यह कहना चाहूँगा की प्रतिशत ज्यादा होना याने आप उसके लिए लायक हो यह बिलकुल ही झूट है ! मेरी नजर में ९५% और उससे ज्यादा प्रतिशत लेने वाला बच्चा और ३५% और उससे ज्यादा प्रतिशत लेने वाले बच्चे में कोई फर्क नहीं ! सिर्फ फर्क यह है की ९५% वाले बच्चे को वो सबकुछ मिला जो ३५% प्रतिशत वाले बच्चे को नहीं मिला ! वरना आप में और उनमे कोई फर्क नहीं है ? इसलिए आरक्षण के बिच में प्रतिशत को न लाए ! वरना मै ऐसे कई लोगो को जनता हु जो स्कूली शिक्षा में प्रतिशत के मामले में तो आगे रहे ! लेकिन असल जिंदगी में, समाजहित में, देशहित में, निष्ठां में और कृतित्व में वो असफल ही रहे है ! इसलिए अब प्रतिशत के अलावा ग्रेडसिस्टम ही ज्यादा कारगर साबित होगी ! ताकि प्रतिशत के आधार पर कोई किसी में भेद न करे !
असल में प्रतिशत(मेरिट) और आरक्षण का कोई लेनादेना नहीं है ! आरक्षण सिर्फ इसलिए होता है ताकि जो सहुलते उस मेरिट वाले बच्चे को मिली लेकिन बगैर मेरिट वाले बच्चे को नहीं मिली ! इसलिए उसे प्रमोट करने के लिए आरक्षण दिया जाता है ! मेरिट में आना या ज्यादा प्रतिशत लेना कोई महान काम नहीं है ! जो परिस्थितिया मेरिट वाले बच्चे को मिली है अगर वो आरक्षित बच्चो को भी मिलती तो श्यायद मेरिट का तुनतुना बजाने वाले कब के पिछे छुट गए होते ! शिक्षा क्षेत्र की कमजोरी को आरक्षण के खीलाफ़ इस्तेमाल न करे तो ही अच्छा है !
आरक्षण देकर आप कोई समानुभूति नहीं दिखा रहे है ! यह भी समझ लो ! आप के स्थान पर आरक्षण से आने वाले बच्चो का ही असली हक़ है ! क्योंकि आपको सबकुछ मिलने के बाद भी, व्यवस्था आपके हक़ में होने के बावजूद, सभी संसाधनों पर आपका अधिकार होने के बावजूद, असल जिंदगी में कोई परेशानी नहीं होने के बावजूद आप अगर ७५ % से ८० % प्रतिशत लेते हो तो ६० % प्रतिशत लेने वाला बच्चा जिसे वो सबकुछ नहीं मिला वो आपसे कई प्रतिशत से आगे है ! इसका असल गणित भी मेरे पास है !
देखो....
खुले प्रवर्ग में मेरिट आने वाला बच्चा
आपका कुल प्रतिशत % = अच्छा कॉलेज + अच्छा डोनेशन + अच्छी किताबे + कोचिंग क्लासेस + आपकी मेहनत + आपके आजूबाजू का परिसर
८० % = १५ % + ५ % + १५ % + १५ % + २५ % + ५ %
आरक्षित वर्ग में आने वाला बच्चा
उनका कुल प्रतिशत % = सामान्य कॉलेज + नो डोनेशन + सामान्य किताबे + नो क्लासेस + उनकी मेहनत + उनके आजूबाजू का परिसर
४० = ५ % + ० % + ५ % + ० % + ३० % + ० %
अब देखो ये है सच्चाई प्रतिशत में मेरिट में रहने वाले बच्चो की स्थिति और आरक्षण से प्रतिशत की स्थिति !
सच्चाई यह है की, खुद को मेरिट के कहने वाले बच्चे आरक्षित वर्ग के बच्चे से कई बुना आगे है ! अगर खुले प्रवर्ग के मेरिट वाले बच्चे ८० % प्रतिशत लेते भी है तो आरक्षित वर्ग के बच्चे जो ४० % प्रतिशत लेते है उनसे कई गुना पीछे है ! जो परिस्थितिया खुले प्रवर्ग के मेरिट वाले बच्चे को मिली वो ही परिस्थितिया अगर आरक्षित वर्ग के बच्चे को मिली तो वो उससे ज्यादा प्रतिशत लेता है ! यह उपरोक्त गणित के द्वारा साबित हो चुका है !
यह बात सिर्फ इसलिए हो रही है की, शिक्षा व्यवस्था की कमजोरी, यहाँ के सत्ताधारियो की नाकामी और जतिवादियोंके षडयंत्र के कारण आज का युवा मेरिट का सन्दर्भ देकर आरक्षण का विरोध कर रहा है ! श्यायद वो इस सच्चाई से वाकिब नहीं है ! इसलिए मेरिट से आरक्षण की तुलना न करते हुए सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक परिस्थितियोंके आधार पर तुलना की जनि चाहिए ! तब हर व्यक्ति जान सकेगा की आरक्षण का महत्वा क्या है ? आरक्षण क्यों जरुरी है ? आरक्षण किसलिए देना चाहिए ? हमारी स्थिति क्या है ? और आरक्षित वर्ग की स्थिति क्या है ? यह भी जानने में आसानी होगी ! मेरिट के आधार पर यहाँ के आरक्षण विरोधी लोगो को, समाज को, युवा पीढ़ी को भड़का रहे है ? क्या ये सब इस सच्चाई से वाकिब नहीं है ? क्या इन्हें फिर से वो असमानता वाली स्थितिया पैदा करनी है ? क्या इन्हें फिरसे गुलामी की व्यवस्था लानी है ? क्या ये लोग इंसानी विकास और सभ्यता के विरोधी है ? क्या ये इन्सान के ही विरोधी है ? क्या यहाँ स्वतंत्रता है ? क्या हम स्वतंत्र देश में रह रहे है ? क्या यहाँ जंगल राज है ? के स्वतंत्रता के नाम पर विषमता की व्यवस्था से गुलामी की तरफ कदम बढ़ने के लिए आरक्षण का विरोध किया जा रहा है ?
उपरोक्त सभी सवालो पर आरक्षण के विरोधी और समर्थक दोनों विचार करे और अपने आपसे यह सवाल पूछे ! जब आप को आपकी सच्चाई और आरक्षण की सच्चाई भी सामने आएगी !
पहले हक़ दिलाओ
फिर कर्तव्य की बात करो
पहले संसांधन में हिस्सा दिलाओ
फिर प्रतिशत की बात करो
पहले इन्सान को इन्सान समझो
फिर आरक्षण से होने वाले अन्याय की बात करो
पहले गुलामी को छोड़ो
फिर आरक्षण के खिलाफ लढो
पहले समानता की व्यवस्था बनाओ
फिर आरक्षण का विरोध करो
---प्रा संदीप नंदेश्वर, नागपुर.
पहले हक़ दिलाओ
फिर कर्तव्य की बात करो
पहले संसांधन में हिस्सा दिलाओ
फिर प्रतिशत की बात करो
पहले इन्सान को इन्सान समझो
फिर आरक्षण से होने वाले अन्याय की बात करो
पहले गुलामी को छोड़ो
फिर आरक्षण के खिलाफ लढो
पहले समानता की व्यवस्था बनाओ
फिर आरक्षण का विरोध करो
---प्रा संदीप नंदेश्वर, नागपुर.
1 numberi .. i am going to translate it in marathi ... and i am not asking u for u permission as well
ReplyDeleteI i am totally agree with u Sandeep Sir. Its seems to dominion wants back their "PESHAWAI"
ReplyDelete80 % and 40 % analysis is true in all senses.
ReplyDeletekishor khobragade kalyan
waah! kya baat hai . jo sachchai hai use aapne bahut hi saral bhasa me diye hai . realy i impresssed your thought .
ReplyDeletedalito ko samaj me samanta chahiye , barabri ka darza chahiye, arakshan ka virodh karne wale log pahle insaan ko insaan mane.
बहुत हद तक सही है ! लेकिन ये बात वो लोग नहीं समझ सकते जिन्होंने कभी उस लड़के की शक्ल तक नहीं देखी जो उन्हें आरक्षण से भरी खबरों का अखबार डाल कर अब कोलज में पढ़ भी रहा है
ReplyDeleteVery good assessment of the reality of merit.
ReplyDelete1000000000 per cent agree
ReplyDelete1000000000000000000 per cent agree
ReplyDeletebahoot khoob sir
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