आंबेडकरी मुव्हमेंट को सफलता दिलाने का मास्टर प्लान :- भाग 2 (द्वितीय चरण)
धम्म क्रांति एकमात्र पर्याय
धम्म क्रांति एकमात्र पर्याय
आप सभी को मेरा सप्रेम जय भीम !
इसके पहले हमने बुद्ध और बाबासाहब के अनुयायी बनाना पड़ेगा इसपर काफी विस्तार से चर्चा की और
उसके लिए कुछ खास मुद्दोंको हमने स्वीकार किया !
आंबेडकरी मुव्हमेंट को सफलता दिलाने के प्रथम चरण में वो जरुरी भी था ! लेकिन इसके बाद हमारा प्रथम कर्तव्य होगा की हम धम्म क्रांति की तरफ बढे ! काफी सोच विचार करने के बाद यह महसूस होता है की बाबासाहब ने अपने पुरे अध्ययन काल में इसपर अधिक बल दिया है की धम्म भारत में अपनी जड़े मजबूत करे ताकि हमें अपनी आगे की लढाई के लिए सुपिक जमीं पैदा हो ! लेकिन इसके विपरीत हमारी कृति ने आज धम्मक्रांति को रोख दिया है ! हमारी ये जिम्मेवारी बनती है की हम उस धम्मक्रांति को बढ़ावा दे !
बुद्ध धम्म एक व्यवस्था है ! उसे व्यवस्था के रूप में ही देखा जाना चाहिए ! बाबासाहब ने भी इस बात पर काफी बल दिया है ! "बुद्ध धम्म से ही दुनिया का उद्धार हो सकता है!" (बाबासाहब- १४/१५ अक्टूम्बर १९५६) और ये हमने देखा भी है ! बुद्धिस्ट राष्ट्र जैसे चीन, जापान, थाईलैंड, इंडोनेसिया इन सभी राष्ट्रों ने अपना विकास अल्पकाल में किया है ! वो सिर्फ और सिर्फ बुद्धधम्म और तत्वों के कारण ! हमें यह नहीं भुलाना चाहिए की बाबासाहब ने भारत को भी बौद्ध भारत बनाने का सपना देखा था ! उनके पच्छात अब ये हमारा कर्त्तव्य है की हम उस सपने को पूरा करे ! मै जनता हु की धम्म के दुश्मनोने बुद्धिस्ट भारत का सपना दिखाकर राजनीती की है ! हमें उनके चंगुल से बाहर निकलकर धम्म को बढ़ावा देना होगा ! इसके लिए हम कुछ इस प्रकार करते है !
१. मै यहाँ सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक मुद्दो को छोड़ कर पहले धम्म के बारे में क्यों लिख रहा हु ! इसका कारण यह है की धम्म सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीती का मूलाधार है ! धम्म के बिना हम इस सभी क्षेत्रो में असफल ही होंगे ! बाबासाहब ने जो राजनीती में नैतिकता की बात की थी ! वो धम्म के उपलक्ष में ही की थी ! यह बात हमें जाननी होगी ! इसलिए धम्मक्रांति जरुरी है !
२. "बुद्ध और उनका धम्म" यह बाबासाहब द्वारा लिखी गई किताब हमारे लिए धम्म ग्रन्थ हो ! मै अनेको ऐसे लोगो को देखता हु जो आज खुद का ज्यादा ही विद्वान कहलाने के चक्कर में बाबासाहब ने लिखी हुई इस किताब के तत्वों को तारतार करते हुए कुछ अपने ही अलग नियम समाज को दे रहे है ! क्या उनकी यह कृति मान्य हो सकती है ? नहीं ? तो फिर हमें बुद्ध धम्म के बारे में कही और भटकने की और कुछ और ढूंडने की जरुरत नहीं है ! कृपया इसे यह न समझे की मै आपको रोक रहा हु ! आखिर बुद्ध ने ही आपको यह अधिकार भी दिया है ! लेकिन जितना अध्ययन बाबासाहब ने बुद्ध धम्म के बारे में किया था ! क्या उतना आप कर सकते हो ! जो सन्दर्भ बाबासाहब ने ढूंड निकले थे क्या आज आप वो कर सकते हो ? अगर नहीं तो फिर बाबासाहब की किताब को ही आदर्ष मानते हुए उसी को धम्म का आदर्श घोषित कर दो !
३. मै देख रहा हु की आज धम्म पर काफी आपदाए लेन की कोशिश दुश्मनों के द्वारा की जा रही है ! खैर वो तो दुश्मन ही है ! पर सबसे ज्यादा आपदा अपने कहने वाले, बुद्धिस्ट कहने वाले लोगो के माध्यम से आ रही है ! यह बहोत बड़ी समस्या है ! ऐसे लोगो को हमें रोकना होगा ! जो भी बुद्ध और उनका धम्म इस किताब के अलावा अपना ही कुछ अलग ब्यौरा दे रहा है ! तो उसे वही पे रोको !
४. आज तक धम्म के ऊपर इतनी प्रतिक्रांतिया हुई है की आज के युवा पीढीको अगर धम्म जान लेना है तो वह मूल धम्म नहीं जान सकता ! इसके लिए जिसे भी धम्म के बारे में जानना है ऐसे लोगो को किसी और की किताबो से धम्म जानने की जरुरत नहीं ! बुद्ध और उनका धम्म यह बाबासाहब की किताब ही काफी है !
५. हमें यह भी समझना होगा की धम्म एक व्यवस्था है ! न की वो धर्म है ! धर्म और धम्म में काफी अंतर है ! जैसे जमीं और आसमान में अंतर है ! उसी प्रकार धर्म और धम्म में अंतर है ! धर्म किसी चौकट में बंधा होता है ! जिसके बाहर जाना या झांकना भी गुनाह होता है ! धर्म इन्सान को बंधे रखता है ! इसके विपरीत धम्म इन्सान को स्वतंत्रता देता है ! धम्म एक ऐसी व्यवस्था बनता है जिसमे किसी भी प्रकार से इंसानी स्वतंत्रता पर रोख न आये ! धम्म एक समुन्दर है ! तो धर्म एक तालाब जिसे सीमाए होती है ! इतनाभी अगर हम जान गए तो मुझे लगता है की धम्म को समझ सकते है !
६. धम्म व्यक्तिवादी न होकर समुहवादी है ! धम्म में एक इन्सान के अन्दर के रूप को नहीं बल्कि बाह्य रूप जैसे समाज, संस्कृति, राष्ट्र, परिवार में इन्सान क्या है ! इसपर बल देता है !
७. बुद्ध धम्म को विज्ञानवादी धम्म का दर्जा दुनिया ने दिया है ! यह सिर्फ अपने अन्दर झाकने से या कही समाधी लगाकर खुद को पहचानने के लिए नहीं दिया बल्कि धम्म से इन्सान खुद का न रहते हुए समाज का बन जाता है !
८. आजकल प्रतिक्रांति वादी ताकतोंने धम्म को इतना घेरा हुआ है की हमारे बिचारे भोले भले लोग उनके चुंगुल में फंस कर धम्म को भ्रष्ट कर रहे है ! जैसा की समाधी और सम्यक समाधी में क्या अंतर है ! इसकी जानकारी लोगो को न होने के कारण वो समाधिया लगा रहे है ! समाधी लगाना याने खुद के अन्दर झांक कर अपने अन्दर की बुराइयों को परखना ! पर इन्सान के अन्दर जो बुराइया आती है वह जिस समाज से, जिस वातावरण से आती है वो सब समाधी में ध्यान में ही नहीं लिया जाता !
९. सम्यक समाधी इसके विपरीत है! सम्यक समाधी में हमें हमारे अन्दर की बुराइयों को ही नहीं देखना है ! बल्कि खुली आँखों से आई हुई बुराइया क्यों ? कैसे ? किस कारण ? से आई है ! इसका शोध करना याने सम्यक समाधी ! आसान भाषा में बताया जाये तो आपके आजू बाजु में घड़ने वाली घटनाओंके बारे में शोध करना जिसके कारण आप प्रभावित हो रहे हो ! यह होती है सम्यक समाधी ! जिससे इन्सान स्वार्थी न होकर सामाजिक होता है ! बल्कि समाधी से इन्सान स्वार्थी होता है !
१०. कुछ लोग धम्म के नाम पर लोगो को लुट रहे है ! वास्तविकता में यह गलत है ! बाबासाहब का २४ जनवरी १९५४ का भाषण अगर पढ़ते है तो वो कहते है धर्म के नाम से पैसा लेना गुनाह है !(ले.भा.खंड. १७, पार्ट ३. पान. ५००) आज कोई धम्म के नाम से तो कोई लेनी के नाम से समाज को लुट रहा है ! हमें इसे रोकना होगा !
११. हर बुद्ध विहार में ग्रंथालय की मोहिम चलानी होगी ! और वो भी समाज के सभी समूह को साथ लेकर ! न की किसी एक व्यक्ति के हाथोंसे !
१२. हर मोहल्ले में एक बुद्ध विहार की मोहिम हमें बनानी होगी ! जो लोग धम्म का काम करते है ऐसा कहकर लोगो से चंदा ले रहे है ! उनके अगर प्रवास का खर्चा भी अगर हम जोड़े तो एक नया बुद्ध विहार बनता है ! तो कृपा करके ढोंगी, पेठभरू लोगो पर पैसे को न बहते हुए उस पैसे को धम्म के काम में खुद लगाओ !
१३. सामाजिक संस्थाए और राजनितिक पार्टिया इनको पैसे देकर हमने आज तक पाला है ! लेकिन इन्होने धम्म के लिए कुछ नहीं किया ! मै यहाँ किसी भी संघटन का नाम नहीं ले रहा हु ! आप सभी उनको जानते हो ! तो हमें वो पैसा उन्हें देनेसे रोकना होगा ! और वही पैसा आप अपने नजदीकी बुद्ध विहार में खर्चा करो !
१४. हर बुद्ध विहार में व्याख्यानमालाए, स्पर्धा परिक्षाओंका आयोजन करे ! बच्चो के लिए संस्कार शिबिरो का आयोजन करे ! साल भर चलने वाली धम्म की गतिविधियोंको आप अपने विहार में भी जोरोशोरोसे चलाये !
१५. आज धम्म के नाम से धम्म के प्रचार और प्रसार के लिए हजारो संगठन बने है ! पर यही धम्म के ऊपर सबसे बड़ी प्रतिक्रांति है जिससे धम्म दूषित हो रहा है ! कोई यह कहेगा की इससे तो धम्म का प्रचार ही होगा ! पर यह समझलो की सही प्रचार अगर न हो तो धम्म के लिए वो सबसे बड़ा खतरा हो सकता है ! इसलिए बाबासाहब ने धम्म के प्रचार और प्रसार के लिए "भारतीय बौद्ध महासभा" गठित की थी ! उस संगठन के हम सदस्य बने !
१६. सभी धम्म संगठनोंका "भारतीय बौद्ध महासभा" में विलीनीकरण हो ऐसा प्रयास करे ! किसी को भी अपना अलग धम्म संगठन बनाने न दे ! सभी संगठनोंको एक ही मंच पर जो बाबासाहब ने गठित किया हुआ है ! उस मंच पर आकर धम्म कार्य करने के लिए दबाव बनाये !
१७. राजनीती की चंगुल से बाहर निकल कर धम्म के प्रति हम निष्टावान रहे ! जिस इन्सान में धम्म बसता है ! वह इन्सान अभी भी कोई लढाई हार नहीं सकता ! धम्म उसमे जितने का जज्बा पैदा कर देता है ! इससे हमारे अन्दर आज पनप रहे राजनीती के मतभेद भी दूर हो जायेंगे और धम्म बढेगा और आने वाले दिनों में आप जो चाहते हो वो भी हासिल कर पाओगे !
१८. बाबासाहब का सपना इसी से पूरा होगा ! यह समझ लीजिये की आंबेडकरी आन्दोलन धम्म के बिना आगे नहीं बढ़ सकता ! चाहे वो किसी भी क्षेत्र में क्यों न हो ?
इस सभी मुद्दों को हम आज की वर्तमान काल की परिस्थितिया और इन्सान के अन्दर पनप रहे स्वार्थी मानव के परिप्रेक्ष में अगर परख लेते है ! तो आप को ऊपर बताई हुई बातो की सच्चाई और महत्व महसूस होगा ! हम आज तक बाबासाहब के जाने के बाद इस ५५-६० सालो में वो मुकाम हासिल क्यों नहीं कर पाए ? इसका जवाब हमें ऊपर दिए हुए विश्लेषण में जरुर मिलेगा ! मै यहाँ जो कह रहा हु वो मेरी बौद्धिक कुवत के आधार पर कह रहा हु ! पर आप लोग इसे अपने मस्तिष्क के अंतिम चरण तक सोच विचार कर समझ ले ! बाबासाहब कहते है, "इन्सान इंसानों के बिच के सम्बन्ध प्रेम भाव, मैत्री भाव, करुणा इन तत्वों के आधार पर जोड़ने का बौद्ध धम्म का मध्यवर्ती सिद्धांत याने समता !" (ले.भा.खंड. १८, पार्ट ३, पान. ५६९) इसी आधार पर हमें पहले धम्मक्रांति करना है ! आनेवाले दिनों में हम और मुद्दो पर चर्चा करेंगे ! धम्म क्रांति के लिए इससे भी और ज्यादा आप ही दे सकते है ! इसलिए धम्म क्रांति में आप सभी का स्वागत है ! आप चलो एक मंच पर "भारतीय बौद्ध महासभा" के साथ जुड़कर धम्म क्रांति को आगे बढ़ाये ! आप सभी को मेरा क्रांतिपूर्वक "जय भीम" "जय बुद्ध" ---प्रा. संदीप नंदेश्वर, नागपुर.
क्रमशः इस प्लान के शृंखला मालिका में आगे राजनीती, शिक्षा, अर्थ, समाज, संस्कृति, व्यवस्था, सत्ता, तत्वज्ञान इस अभी विषयोपर प्लान दिए जायेंगे !आपके सुझाव आमंत्रित है !
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