Thursday 4 August 2011

कांशीराम का पोस्ट मार्टम :- भाग २

कांशीराम का पोस्ट मार्टम :- भाग 

पिछले पोस्ट मार्टम  में जो सच्चाई मैंने आप लोगो के सामने रखी वो काफी कुछ लोगो को पंसंद  नहीं  आयी  पर ऐसा है की सच्चाई कितनी भी छुपी जाये  सच्चाई आखिर सच्चाई होती हैआज मै आप लोगो के सामने और भी कुछ सच्चाइया रखने जा रहा हु ! पर इसे गलत  समझे !  सच्चाई चाहे किसी के भी बारे में हो ! चाहे वो अपना हो या पराया ! पर एक बात मुझे हर वक्त सताती है की,  जो  लोग  मेरे सच्चाई का विरोध जाता रहे हैजिन्हें कांशीराम के बारे में कुछ भी कहना और  लिखना  गवारा नहीं होता ! यही लोगो ने जब कांशीराम बाबासाहब को गलिय दे रहा था ! तब कहा सो  गए थे ? तब इनका खून क्यों नहीं  खौल उठ ता था ? कांशीराम की औकात  होकर भी उसने बाबासाहब और उनके मिशन पर इतनाही नहीं तो पुरे आम्बेडकरवादियोंपर उंगलिया उठाई तब   यह लोग क्यों मुह में उंगलिया डाल कर चुप थेक्या बाबासाहब से बड़ा मसीहा पंजाब का ये बहुरुपिया कांशीराम बन गया  है क्याइनके खून में बाबासाहब है या कांशीरामश्यायद अब वो भी तलाशना होगा ? जिस महापुरुष के सामने, उनके विचारो के सामने, उनके आंदोलनों के सामने सारी दुनिया सर  झुकाती ऐसे बाबासाहब जैसे महापुरुष को कांशीराम ने कभी भी रिस्पेक्ट देकर नहीं बुलाया ! बाबासाहब यह नाम तो उसके जबान पर कभी नहीं आया ! फिर मेरे जैसा बाबासाहब का कार्यकर्त्ता अगर कांशीराम की पोल खोल के उसके आन्दोलन का पोस्ट मार्टम करता है ! तो उसमे गलत क्या है ? बाबासाहब के सामने कांशीराम याने सूरज के सामने रखा दिया या पंती है ! क्या और क्यों आदर करे हम उसका ?

बाबासाहब के चाहने वाले इस दुनिया में सिर्फ और सिर्फ महार ही नहीं थेसंविधान लागु होने के बाद तो महार बोलने से भी लोग कतराते थेलेकिन कांशीराम जैसे ढोंगी ने बाबासाहब के आन्दोलन को महारो तक सिमटे रखने के लिए और बाबासाहब महार थे और महारोके नेता थे ऐसा जताने की लिए बार बार अपने वक्तव्य में महार शब्द का उल्लेख किया ! जिन लोगो ने बाबासाहब के आन्दोलन में सक्रियता दिखाई वो हर कस्बे और हर जाती का इन्सान था ! वो सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशो में भी बाबासाहब के चाहने वाले थे ! पर कांशीराम का एकमात्र उद्देश था की बाबासाहब एक जाती में बंधे रखे और खुद को बाबासाहब से बड़ा दलितों का मसीहा घोषित करे ! क्यों  हो हिन्दू रहकर  जिया और हिन्दू रहकर ही मर गया ! जो लोग उसके अंतविधि की दुहाई देते है ? मेरे समझ में वो मुर्ख है ! क्या मरने के बाद कोई देखने आता है की मेरे मरने के बाद मेरा अन्त्यसंस्कार किस विधि से हुआ ? भाइयो अब तो जरा जागो ! अपनों ने लुटा तो कोई गम नहीं...पर अपनों के भेस में पराये ने लुटा हैघर को सवारने में शक्ति खर्च करो ! पराये का घर तो बाद में देखा जायेगा ! जीते जी बुद्धिझम को जिओ...मरने के बाद किसने देखा है ?

देखो कांशीराम क्या कहता है ! "हमें महात्मा ज्योतिबा फुले  छत्रपति शाहू महाराज के  जन्मदिन मनाने चाहिए लेकिन महाराष्ट्र के महार इनका जन्मदिन नहीं मनाता हैक्योंकि वह कहते है, अब हम महार नहीं रहे है, हम बुद्धिस्ट हो गए है !"(सन्दर्भ :- बहुजन संगठक - अंक  - ता१७ से २३ जुलाई २०००) अब बताओ इस महामूर्ख को किसने बताया की महाराष्ट्र के लोग जो बुद्धिस्ट है वो इन बहुजन महापुरुशोंको नहीं मानते और उनका जन्मदिन नहीं मनाते ! हर वो महाराष्ट्र का बुद्धिस्ट शाहू जी और फुले जी के जन्मदिन को मनाता है ! आखिर बाबासाहब ने इन्हें ही तो अपने गुरु के रूप में देखा था ! फिर वो बाबासाहब को सर आँखों पर रखने वाले लोग ऐसा नहीं करते ! पर महार लोगो के बारे में विषैली मानसिकता रखने वाले कांशीराम को यह तक मालूम नहीं की जो बुद्धिस्ट है वो महार कैसे हो सकता है ! जरा इसका दिमाग सटक गया था ! या आपका सटक गया होगा ! जिन लोगो ने यह मान लिया ! या फिर मेरा सटका होगा जो मै ऐसे ढोंगी को तारतार करना चाहता हु

मैंने पिछले एपिसोड में बताया था की महाराष्ट्र के आंबेडकरी लोगो को लुटने के लिए और उन्हें मिशन से भटकने के लिए ही कांशीराम नाम का पिल्लू आंबेडकरी आंदोलन में छोड़ा गया थाउसकी सच्चाई देखो ! कांशीराम कहता है, "महाराष्ट्र में तो अभी कुछ कर्मचारी आगे आए है और उन्होंने मुझे १००० मेम्बरशिप करके हर आदमी से १००-१०० रूपया इकठ्ठा करके  लाख रूपया महीने का मुझे देते है ! तो इस प्रकार महाराष्ट्र के साथी कुछ करने की कोशिश कर रहे है !" (सन्दर्भ :- बहुजन संगठक - अंक २२ - ता२१ से २७ अगस्त २०००) क्या लाख रूपया इसको नौकरी में रहते मिला होता ? क्या इन लाख रुपये का समाज के लिए कुछ लाभ हुआ ? क्या किसीने इसका हिसाब लिया ? जो लोगो ने कांशीराम को चढ़ावा चढ़ाया क्या उन्होंने कभी बाबासाहब की संस्थओंको कभी यह चढ़ावा दिया ! बाबासाहब ने तुम्हे कीचड़ से उठाकर महलों में जगा दी ! आपने बाबासाहब की संस्थओंको गालीया देकर कांशीराम जैसे भड़वे को ऐश करने दिया ! फिर क्या हक़ बनता है आप लोगो को आंबेडकरी आंदोलन से जुडे लोगो को गलीया देने का ? 

जिन लोगो ने कांशीराम को पैसा  दिया  वो  तो  महाराष्ट्र के  बाबासाहब को मानने वाले लोग थे !  अगर  महार  होते तो कांशीराम पर पैसा नहीं लुटातेफिर भी यह बहुरुपिया उन्ही लोगो को बार बार   गालीया  देता  रहा ! महार कहकर उनकी अवहेलना करता रहाताकि बाकि लोगो में महार समाज के प्रति द्वेष पैदा हो !  और बाबासाहब महारो के नेता रह जाये ! यह बार बार कहता रहा की बाबासाहब का आन्दोलन मैंने पुरे  भारत भर पहुचाया ! और उनके चेले इस बात को मानते रहे ! जैसा की कांशीराम ने इन लोगो को  सम्मोहन  विद्या  से पागल कर दिया होइन्हें कांशीराम के अलावा  बाबासाहब दिखाते थे और  ही  उनके  आन्दोलन का वैश्विक स्थान !   

महाराष्ट्र के आंबेडकरी लोगो को लूटकर भागने वाला बहुरूपिया कांशीराम कभी भी  आंबेडकरी नही  बन सका ! जो भी आन्दोलन उसने चलाये वो बाबासाहब के आन्दोलन के विपरीत या महाराष्ट्र के आंबेडकरी लोगो द्वारा चलाये गए आंदोलनों को निरस्त करने के लिए उसके विरुद्ध आन्दोलन यही कांशीराम की एकमात्र निति रही है ! कांशीराम अपने हर भाषण में बाबासाहब के ऊपर सवाल उठाता रहा ! उनके आंदोलनों के ऊपर सवाल उठाता रहा ! लोगो की मज़बूरी का लाभ उठाकर खुदको मसीहा कहलाता रहा ! भारतीय समाज के इतिहास में ऐसा कोई नेता नहीं हुआ जिसने अपने जीते जी खुद को बहुजनो का मसीहा कहा हो ! पर कांशीराम यह बहुरुपिया खुद को मसीहा कहने वाला आधुनिक ढोंगी नेता पैदा हुआ था ! जिसने अपने जीते जी बाबासाहब के साथ अपने पुतले बनाये ! आज मायावती भी उसी राह पर चल रही है ! श्यायद उन्हें मालूम था की हमारे मरने के बाद हमें पूछने वाला भी कोई नहीं होगा ! तो क्यों हो खुद की अपने पुतले बनाकर एक इतिहास बनाया जाये ! भारतीय राजनीती में खुद के पुतले बनाने वाला यह पहला ढोंगी बहुजन राजनेता बना !

पर बाबासाहब के साथ ये कांशी-माया अपनी कितनी भी तुलना कर ले आखिर बाबासाहब महापुरुष ही रहेंगे ! बाबासाहब का कद छोटा करने की ये कितनी भी कोशिश कर ले पर बाबासाहब दिनों दिनों दुनिया में छा रहे है ! और इन ढोंगी नेतओंकी तस्वीर भी खुलकर दुनिया के सामने आती रही है ! और आगे भी आती रहेंगी ! कीचड़ का मेंढक समुन्दर में तैरने की कोशिश कर ले पर वो अपनी खैरियत ज्यादा दिन तक नहीं मना सकता ! वही हालत इन लोगो की भी होने वाली है ! एक की तो हो गयी ! अब दुसरे की बारी है !  

खुद को बहुजनो का मसीहा कहते हुए जाती का गणित रचने वाला ढोंगी बहुरुपिया कांशीराम जब व्हीपीसिंग सरकार मंडल कमीशन को लागु करने जा रहा था तब इसने उसका विरोध  करने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी ! क्यों की ये खुद को इतना महान समझता था की इसके अलावा कोई बहुजनो के लिए कुछ कर ही नहीं सकताअसल में ४० साल के राजनीती में बहुजनो के लिए किया तो कुछ नहीं ! मंडल कमीशन को लागु कर यहाँ के  बी सी बहुजन भाइयोंको उनका हक़ और अधिकार  दिलाने  में आखिर व्ही. पी. सिंग सरकार की मदत महाराष्ट्र के आर पी आय के नेताओ ने ही की है ! और उसमे भी मौलिक भूमिका बाळासाहब आंबेडकर जी ने निभाई थी ! इसी मुद्दे को लेकर कांशीराम को एक पत्रकार ने सवाल पूछा की, व्ही. पी. सिंग जो की माडर्न गाँधी है जिन्होंने ने अपनी सरकार का बलिदान दिया दलितों के लिए ! तो उत्तर में कांशीराम कहते है, "पुराने गाँधी है उन्हों  डॉआम्बेडकर ठिकाने नहीं लगा सके लेकिन माडर्न गाँधी को अभी अभी ठिकाने लगाकर ही मै  दिल्ली पंहुचा हु !" (सन्दर्भ :- आम्बेडकर टुडे - मार्च २००८पृष्ठ - ४५ ) देखो क्या यहाँ पर बाबासाहब का अपमान नहीं किया है इस बहुरिपिये नेसारी दुनिया जानती है की गाँधी जैसे महात्मा ने बाबासाहब के सामने घुटने टेक दिए थे ! पर बाबासाहब पर सवालिया निशान लगाना ही इस बहुरिपिये का काम था ! इतना ही नहीं बल्कि व्ही.पी.सिंग को विरोध जताकर इसने यह भी स्पष्ट कर किया की ये बहुजनो का कितना बड़ा दुश्मन था !

            क्या ऐसे बहुरिपिये को आप आंबेडकरी कह सकते हो ? क्या ये बहुजनो का नेता हो सकता है ? जो अपने ही महापुरुशोंके बारेमे आदर रखता हो वो बहुजन नेता कैसे बना ? ऐसे ढोंगी और बहुरिपिये को अपने सर पर बिठाकर हम बाबासाहब की प्रतारणा नहीं कर रहे ? बाबासाहब के आन्दोलन को निरस्त करने वाले कांशीराम को "जय कांशीराम" बनाना हमारी बेईमानी का सबुत नहीं है ? क्या हम कांशीराम के दलाल, भड़वे, गुलाम, चेले नहीं है ? बाबासाहब के साथ गद्दारी करने वाला इन्सान आज बाबासाहब से भी ज्यादा आपके लिए अगर प्यारा जिनके लिए हो सकता है क्या उनका खून गन्दा नहीं है

~~~~~ क्रमशः  पढ़ते रहो ! आगे भी और कही राज खुलने वाले है !!!!!!!!!

सवाल अनेक हैजवाब सिर्फ और सिर्फ आप हो ! बाबासाहब के आन्दोलन को जानोसिद्धांतो को जानोपहचानोवक्त हाथ से निकल जाने से पहले बाबासाहब के आन्दोलन में आकर अपने गंदे हुए खून को फिर से साफ करो ! 





4 comments:

  1. plzzz go ahead dada,I m wid you.....n krantikarak JAI BHIM

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  2. koi bhi aadmi dhoodh ka dhula nahi he.....is dunia me sabhi ko apna apna hit sadhan hota he..Be United...Be Educated...Jai hind ..Jai Bharat...Proud to be a Hindu..

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  3. MUZE TO LAGTA HAI KI TU CONGREESS KA CHAMCHA HAI. BJP, CONG, SENA, INKE KHILAF TU KABHI BOLEGA NAHI AUR JO AMBEDKARI VICHAR PURE INDIA ME PAHUCHA RAHE UNKE KHILAP BHONKTA RAHEGA.OK KOI BAAT NAHI TU APNA KAAM KAR HAM APNA KAAM KARENGE.

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  4. Is Lekh me jo kuch Bhi Likha hai ...usase pata chalata hai ki ...Ye lekh likhane wale ke kitane Baap hoge ..aur is ki manshik stiti kitani Kharab hai..ye Murkh duniya ke konse kone me rahata hai kya pata...is ke Baap Ne ise sahi itihas nahi bataya hai ...isi wajahase is ki soch murkh aur mand hai...

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