Tuesday, 14 January 2014

जागो भारत के लोगो...जागो !

देश की राजनीती ने नया रुख अपना लिया है ! बदलाव की लहर चारो और गूंजती दिखाई दे रही है ! लोकतंत्र के लिए यह शुभ संकेत है ! ऐसा अगर कोई कहता है तो बिलकुल सही है ! लोकतंत्र में किसी एक पक्ष के हाथ में सत्ता जादा दिन तक रहे तो वो लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है ! जिसका नजारा भारत ने देख लिया है ! लेकिन क्या आज का बदलाव सही में लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करेगा ? क्या सही में लोकतंत्र की दिशा में यह बदलाव हो रहे है ? इसकी तय तक पहुचे बिना इस राजनितिक बदलाव को लोकतंत्र के लिए सही नहीं कहा जा सकता !
लोकतंत्र में किसी भी आम चुनाव के पहले देश की विभिन्न पार्टियों के चुनावी घोषणापत्र और नीतियों को देखा जाता है ! एवम उस घोषणापत्र और नीतियों का जनता तक प्रचार और प्रसार किया जाता है ! लेकिन आज इस बदलाव के दौर में घोषणापत्र और नीतियों की चर्चा नहीं हो रही बल्कि प्रधानमंत्री पद के व्यक्ति की चर्चाए हो रही है ! प्रधानमंत्री पद के व्यक्ति के नामसे जिस व्यवस्था में चुनावी प्रचार और प्रसार होते है वह व्यवस्था लोकतंत्र नहीं बल्कि अध्यक्षतंत्र होता है ! राहुल गाँधी / नरेन्द्र मोदी / केजरीवाल जैसे व्यक्ति के नाम से देश की सत्ता का प्रचार और प्रसार किया जा रहा है यह किस लोकतंत्र की नीतियों में आता है ! इसका सोच विचार करना आज देश के नागरिको की पहली प्राथमिकता है ! पिछले कई सालो से व्यक्तिविशेष के नाम से चुनाव लड़ाए जा रहे है ! और २०१४ तो पूरी तरह से व्यक्तिबाधित बन गई है ! क्या इससे देश का लोकतंत्र बना रहेगा ? या बहोत ही जल्द देश में अध्यक्षतंत्र लागु होगा ? इस विषय पर गंभीरता से सोचना सभी देशवासियों का प्रथम कर्त्तव्य है ! जागो भारत के लोगो...जागो !
---डॉ. संदीप नंदेश्वर.

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