Tuesday 6 March 2012

मायावती की हार यह दलित राजनीती की हार है ! आंबेडकरी राजनीती कि हार नही !

मायावती की हार यह दलित राजनीती की हार है ! आंबेडकरी राजनीती कि हार नही !

मुझे बडे दुःख के साथ यह कहना पड़ रहा है की, भारत में एकमात्र दलित सत्ता का बड़ा दुखद अंत हुआ है ! दुःख इस बात का भी है की एकमात्र दलित सत्ता जिसकी राजनीती की बात सारी दुनिया करती थी वो मायावती का असली दलित चेहरा फिर एक बार दुनिया के सामने दिखाई देगा ! भारत के परिप्रेक्ष में सत्ता एक ऐसी चीज है जो तानाशाही को सत्ताधारी इन्सान के मन में पैदा करता है ! चाहे फिर वो दलित हो या चाहे वो भारत की राजनीती हजारो साल से अपने हात में लिए बैठे परम्परावादी हो ! इसी मानसिकता को बदलने के लिए डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने नैतिकता की राजनीती की नीव रखी थी ! लेकिन बड़े दुःख से यह कहना पड़ रहा है की मायावती की दलित तानाशाहिवादी सत्ता जो बाबासाहब का नाम लेकर बार बार अपने राजनितिक वजूद को बचाने की कोशिश कर रही थी वो आज फिर एक बार असफल हुई है ! दर इस बात का भी है की दुनिया या कोई भारतीय यह न कह सके की "देखो फिर एक बार आंबेडकरी राजनीती अपनी सांख बचाने में असफल हुई है !" क्योंकि आजतक मायावती की राजनीती को आंबेडकरी राजनीती के परिप्रेक्ष में ही देखा जा रहा था ! जो की असल में बिलकुल ही आंबेडकरी राजनीती से मेल नाही खाती थी ! अपने पुरे कार्यकाल में मायावती ने यह साबित कर दिया था की सत्ता की नशा उनपर इसकदर चढ़ कर बोल रही है की उस नशा में वो अपनों को रौंध कर भी आगे निकल जाये तो भी उसे कोई गम नहीं होगा ! आंबेडकरी विचारो कि राजनीती करणे कि बात तो अलग हि थी ! अपनी गलतियो को को छुपाने के लिये जिस कदर मायावती और कांशीराम ने बाबासाहाब को बदनाम किया उसकी सही सजा आज उत्तर प्रदेश कि जनता ने मायावती को दी है ! अगर मायावती बाबासाहाब के विचारो कि राजनीती करती तो आज यह दिन उसे देखणे को नही मिलता ! दलित राजनीती चाहे कितनी बार भी हार जाये आंबेडकरी राजनीती कभी नहीं हारेगी !
इसलिए दुनिया वालो, मेरे भारत वासियों और मेरे भाइयो मै एक बात आप लोगो को आज बताना चाहता हु की आज मायावती की हार यह दलित राजनीती की हार है !
जबतक आप दलित राजनीती की बात करोगे यह उच्चवर्णीय आपके सत्ता की यही दशा करेंगे और उसके लिए आपके पास कोई जवाब नहीं होगा !
आज की मायावती की हार यह दलित राजनीती की हार है ! आंबेडकरी राजनीती कि हार नही !
तो कृपा करके कोई यह न कहे की आंबेडकरी राजनीती कि हार हुई है ! हा अगर याह कहते हो कि दलित तानाशाही राजनीती कि हार हुई है तो मुझे कोई गम नही होगा !
------डॉ. संदीप नंदेश्वर, नागपूर. ८७९३३९७२७५ 

2 comments:

  1. Did you ever write about losing the battle by Athwale, Dhasal, Kawade, Prakash Ambedkar, Gavai, Upendra Shende, Umakant Ramteke, Sulekha Kumbhare, Gangadharrao gade, Shyamrao Tagde, T.M.Kamble, Shrikrishna Ubale, Parmanand Ramteke and many more who are self proclaimed RPI President?

    She has done better work than above so called Leaders....

    Keep writing the such critics...

    ReplyDelete
  2. Mayawati is much more better than present leaders of our community in Maharashtra. These leaders not the true sons of my Baba.

    ReplyDelete