Saturday, 27 August 2016

भारत के दलितों की एकता का परिचय कब होगा ?

✍🏻 *भारत के दलितों की एकता का परिचय कब होगा ?*✍🏻

✍🏻*मद्रास, दादरी, हैद्राबाद, दिल्ली, मुंबई, ऊणा हुआ ! रोहीत मारा गया, अखलाख मारा गया, कनैय्या जेल गया, आंबेडकर भवन उध्वस्त हूआ और ऊणा मे गोमाता भक्तों ने दलितों का खून बहाया !* आंदोलन हूआ, सडके जाम हूई, आक्रोश किया गया, चिखा गया, चिल्लाया गया, मुंबई और ऊणा की सडको पे जनसैलाब उतरा ! कभी दलितों के आक्रोश की बातें हूई, तो कभी दलितों के अत्याचारो पे बहस हुई ! *मा. प्रकाश आंबेडकर सामने आए ! आवाज उठाई तो आगाज हूआ ! कनैय्या और जिग्नेश मेवानी हिरो बने !* उम्मीद की लकीरे तुफानी सैलाब बनते देख *दलित एकता* की बाते की गई ! हैद्राबाद, यु.पी., गूजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र चारो और *समता और स्वतंत्रता* की आवाज गूंज उठी ! पर ये सब अचानक बंद कैसे हूआ ? एकता की श्रुंखला क्यो नही बनी ? किस कडी को कैसे जोडू ? किस कडी ने कोताही बरती ? और अचानक एकता की बनती हूई श्रुंखला बिखरने क्यो लगी ?

✍🏻 क्या कनैय्या, जिग्नेश या हम जैसो की उम्र मे दरार आयी ? या हमारी युवा उर्जा से बनती परिवर्तन की नई धाराए उम्रदराज के अविश्वास मे खो गई ? और कितने त्याग और समर्पण को नांपा जाएगा ? *सत्ता और राजनिती हमारा खून चुँस रही है, और धर्म और जाती हमारी साँसे छिन रही है !* फिर भी देश के *दलित एकता* की कडी जूडने का नाम नही ले रही, और हमारे खून को चुँसने वाली सत्ता और राजनिती अपने हाथो में लेकर जर्जर हूए समाज मे न्याय की प्रस्थापना को लेकर गंभीरता नही दिखाई दे रही !

✍🏻 *परिवर्तन का आगाज अभिजन समाज से नही बल्की बंजर समाज से किया जाता है !* आज यही बंजर समाज परिवर्तन की क्रांती के लिए तय्यार हो रहा है, पर एकसाथ न आने का डर भी सता रहा है ! सुना था की लढते लढते ही हम सत्ता पा सकते है, पर यहॉ हम सालों से लढ रहे है पर सत्ता से कोसों दूर रहकर ! एकता की श्रुंखला न बनाते हूए तुकडो तुकडो मे शक्ती का संचयन नही हो पाएगा !

*हमें सोचना होगा !*

✍🏻 फिर कोई अखलाख या रोहीत मरने ना पाए, फिर कोई कनैय्या, जिग्नेश या हम जैसो की जवानी की उर्जा बर्बाद न होने पाए ! फिर कोई सिर्फ गुजरात, युपी, हैद्राबाद, मुंबई या दिल्ली ना कह पाए ! फिर किसी दलित पर होने वाला अत्याचार सिमाओं मे बंधने ना पाए ! होने वाला हर आंदोलन *भारत* का आंदोलन हो ! होने वाले परिवर्तन की क्रांती *भारत* की क्रांती हो ! दलित चेतना और एकता न की गूजरात, महाराष्ट्र, यु.पी. या आंध्र की हो बल्की समुचें *भारत* की हो ! आपकों इन कडीयों को जोडना होगा और *भारत के दलितों की एकता* का आगाज कर संघटीतता का परिचय देना होगा ! हम राह मे है, इंतजार मे है, उस श्रुंखला की कडी बनने में विश्वास रखते है !
✍🏻___*अॅड. डॉ. संदीप नंदेश्वर*___✍🏻

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